महानगर संस्कृति का प्रसाद जंक फूड अब कहर बनकर आदिवासियों पर भी गिर रहा है। शहरी सभ्यता तथा नगरीय जीवन शैली से प्रभावित होकर आदिवासी युवा भी अब जंकफूड तथा फास्टफूड जैसी चीजों का सेवन करने लगे है जिसके कारण आदिवासियों के दांतों की संख्या 24 से भी कम हो रही है तथा अक्ल दाढ़ भी गायब हो रही है। चिकित्सकों के अनुसार एक वयस्क के मुंह में 32 दांत होते हैं। इनमें आठ इंसाईजर, चार केनाईन, आठ प्रीमोलर तथा 12 मोलर होते हैं। जिन्हें दाढ़ कहा जाता है। बेहद कड़ी चीजों को चबाने के लिए ये काम आते हैं। ब्रेड, केक, नुडल जैसे जंक फूड खाने का असर बस्तरिया आदिवासियों के जीवन शैली को प्रभावित कर रहा है। जिसका असर यह हो रहा है कि इन आदिवासी किशोरों तथा युवाओं के जबड़े में से दाढ़ गायब होने लगी है। यह जानकारी बस्तर विवि के मानव वैज्ञानी डॉ. सपन कुमार कोले तथा बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज के शोधार्थी व एनाटामी से जुड़े डॉ. रवि कुमार ने अपने शोध में जुटाई है।
शोधार्थियों ने पाया कि किशोर व युवा वय में उग आने वाले दाढ़ या तो नहीं उग रहे हैं या फिर इनके उगने की संभावना ही खत्म होने लगी है। मानव के जबड़े में इसकी संख्या 12 तक होती है। इसका असर यह होगा कि मुंह में दातों की संख्या 24 से भी कम हो जायेगी। तथा उनके चेहरे का आकार परिवर्तित हो जायेगा।
कड़ी चीजों को वे चबा नहीं पायेंगे तथा दांतों की पकड़ भी ढीली पड़ जायेगी। एनटामी विभाग मेकॉज के शोधार्थी डॉ. रवि कुमार का कहना है कि इस संबंध में शोध जारी है। इसमें बस्तर के आदिवासियों तथा सामान्य वर्ग दोनों को शामिल किया गया है।
स्कूल के 11वीं व 12 वीं के विधार्थियों से नमूने लिये गये हैं। प्रारंभिक आंकड़ों में भी यह प्रमाण मिला है कि मोलर नहीं उग रहे हैं। इंसानों में तीन साल की अवस्था से ही दांत उग आते हैं। ये 7-8 साल में टूटने लगते हैं,इन्हें दूध के दांत का टूटना कहा जाता है।
इसके बाद पक्के दांत उग आते हैं। आखिर में 17-18 वर्ष की किशोरावस्था में युवाओं में जबड़े के आखिर छोर में मोलर दांत उगने लगते है। बुजुर्ग इन्हें अक्ल दाढ़ की भी संज्ञा देते हैं। आधुनिक जीवन शैली के कारण अक्ल दाढ़ अब गायब होती जा रही है।