माचकोट वन परिक्षेत्र कुरंदी के ग्रामीण वन अधिकार पट्टा के लिए रविवार को वनमंडल अधिकारी कार्यालय पहुंचकर डीएफओ को बताया कि कुछ लोग चीतलों को मारने के लिए जल स्त्रोतों में जहर घोल रहे हैं। इस जहरीले पानी से ग्रामीण हिरू के बैल की मृत्यू हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि जंगल में ऐसे जलस्त्रोत जहां पानी कम है और ठहरा हुआ है, वहां जहर मिलाया जा रहा है। पानी की तलाश में वन्य जीव जहरीला पानी पीकर बेहोश हो जाते हैं। इसके बाद जहर मिलाने वाले वन्य जीवों को मारकर उसका मांस आपस में बांट लेते हैं, जिसके चलते माचकोट वन परिक्षेत्र में दिखने वाले चीतलों की संख्या अब नहीं दिख रही है। इस मामले में माचकोट वन परिक्षेत्र के रेंजर विनय चक्रवर्ती ने बताया कि इस कृत्य में स्थानीय ग्रामीण शामिल हैं, जिनकी जानकारी एकत्र की जा रही है प्रमाण मिलने पर दोषी ग्रामीणों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी। कुरंदी क्षेत्र के वन कर्मियों, चौकीदारों, वन सुरक्षा व वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु तैनात कर दिया गया है।