भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर आज 24 जुलाई 2025 को औपचारिक रूप से हस्ताक्षर होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान यह ऐतिहासिक करार किया जा रहा है, जिससे भारत के कृषि और समुद्री निर्यात को जबरदस्त बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. खास बात यह है कि इस FTA में भारत की कृषि पहचान का सम्मान करते हुए संवेदनशील क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है. किसानों को इससे प्रत्यक्ष लाभ होने की संभावना है. भारतीय उपज की प्रीमियम बाजार तक पहुंच भी हो सकेगी. FTA के तहत भारत के किसानों को ब्रिटेन के प्रीमियम बाजारों तक शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी. समझौते में 95% कृषि उत्पादों को शून्य शुल्क श्रेणी (0 Tariff Catgory) में रखा गया है. इसमें फल, सब्जियां, अनाज, अचार, मसाला मिक्स, फलों का गूदा, रेडी-टू-ईट भोजन और प्रोसेस्ड फूड जैसे उत्पाद शामिल हैं. इससे ब्रिटैन में इनकी लैंडेड कॉस्ट घटेगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
हल्दी, काली मिर्च, इलायची, आम का गूदा, अचार और दालों जैसे प्रमुख उत्पादों पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा. इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा और निर्यातकों को व्यापक बाजार उपलब्ध होगा. सरकार का दावा है कि यह FTA भारत की कृषि विविधता, वैल्यू एडिशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा. साथ ही ग्रामीण और सीमांत किसानों तक भी इसका लाभ पहुंच सकेगा. अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20% से अधिक वृद्धि की उम्मीद है, जो भारत के $100 बिलियन एग्री-एक्सपोर्ट लक्ष्य को मजबूत आधार प्रदान करेगा.
संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षा कवच
इस FTA की एक अहम विशेषता यह है कि भारत ने अपने सबसे संवेदनशील कृषि क्षेत्रों को समझदारी से इससे बाहर रखा है. डेयरी उत्पाद, सेब, जई और खाद्य तेल जैसे सेक्टर्स पर किसी तरह की रियायत नहीं दी गई है. इससे घरेलू उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सकेगा. SPS (Sanitary and Phytosanitary) प्रावधानों को सरल बनाकर भारतीय उत्पादकों के लिए ब्रिटेन के मानकों पर खरा उतरना आसान किया गया है. इससे निर्यात अस्वीकृति की दर घटेगी और भरोसा बढ़ेगा.