अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से काफी पहले ही पश्चिम बंगाल की राजनीति चुनावी मोड में आ गई है. केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाले फंड को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिल रही है. दरअसल, टीएमसी ने एक विवादास्पद पोस्ट के जरिए दावा किया कि केंद्र सरकार ने बंगाल को शून्य (00) फंड आवंटित किया है, जिसके जवाब में बीजेपी ने टीएमसी पर विचार चोरी का आरोप लगाया. हालांकि, टीएमसी ने पलटवार करते हुए योजनाओं की एक सूची जारी कर बीजेपी के दावों को खारिज करने की कोशिश की. इस सूची में दिखाया गया है कि कैसे केंद्र की कई योजनाओं को उनके मूल नामों से जोड़ा गया.
विवाद की शुरुआत
सोमवार को टीएमसी ने एक पोस्ट में केवल शून्य (0) का चित्र साझा करते हुए दावा किया कि बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बंगाल के लोगों के लिए कोई फंड नहीं दिया. इस पर बीजेपी पश्चिम बंगाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी और टीएमसी पर ‘क्रिएटिव चोरी’ का आरोप लगाया. उसने कहा कि पार्टी केवल विचारों की नकल करती है. इस बीच टीएमसी ने बुधवार को एक तालिका साझा की, जिसमें बीजेपी सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), स्वच्छ भारत अभियान, और डिजिटल को उनके मूल नामों- इंदिरा अवास योजना, निर्मल भारत अभियान और नेशनल ई गवर्नेंस प्लान के साथ जोड़ा गया. टीएमसी ने तंज कसते हुए पूछा कि क्या बीजेपी ने इन योजनाओं को भी रीब्रांड कर लिया है और क्या अब शून्य (0) पर भी कॉपीराइट का दावा करेगी?
योजनाओं का बदला गया नाम
टीएमसी के इस कदम को बीजेपी पर एक जोरदार प्रहार माना जा रहा है. पार्टी ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से बीजेपी ने कई मौजूदा योजनाओं को नए नाम देकर पेश किया जो मूल रूप से कांग्रेस या अन्य सरकारों की पहल थीं. इस सूची में कई अन्य योजनाओं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे प्रोग्राम और मेक इन इंडिया को नेशनल मैनुफैक्चरिंग पॉलिसी से जोड़ा गया. इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि बीजेपी का नया दावा पुरानी नीतियों का महज पुनर्नामकरण है.