Home देश ‘इंडिया आउट’ से ‘भारत का द‍िल बड़ा’, मालदीव के सुर कैसे बदले

‘इंडिया आउट’ से ‘भारत का द‍िल बड़ा’, मालदीव के सुर कैसे बदले

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दो साल पहले जब मालदीव में सत्‍ता पर‍िवर्तन हुआ, और मुहम्‍मद मुइज्‍जू राष्‍ट्रपत‍ि बने तो भारत और मालदीव के रिश्ते रसातल में चले गए. ‘इंडिया आउट’ का नारा देकर सत्‍ता में आए मुइज्‍जू भारत विरोधी बयानबाजी करने लगे. चीन के गुणगान करते नजर आए. लेकिन भारत की कूटनीत‍ि ने ऐसा कमाल क‍िया क‍ि वही मालदीव चीन छोड़कर अब भारत की गोद में आ बैठा है. पीएम मोदी के दौरे से पहले मालदीव में खूब चर्चा है. वहां के पूर्व विदेश मंत्री ने तो यहां तक कह द‍िया ‘भारत का द‍िल बहुत बड़ा है. उसके बिना मालदीव का काम नहीं चल सकता.’

मालदीव मामलों के जानकार पूर्व राजदूत राजीव भाटिया कहते हैं, मालदीव में पिछला राष्ट्रपति चुनाव ‘इंडिया आउट’ अभियान के आधार पर लड़ा गया था. इसी के आधार पर चुने गए नए नेता ने सोचा कि वे उन 75 भारतीय सैनिकों को हटाना चाहते हैं जो चिकित्सा आपात स्थितियों में उनके हेलीकॉप्टरों की देखभाल के लिए वहां तैनात थे. वहीं से माहौल बिगड़ गया. आमतौर पर मालदीव के राष्ट्रपति अपनी पहली यात्रा भारत की करते हैं, लेकिन मुहम्‍मद मुइज्‍जू तुर्की और चीन गए. जहां उन्होंने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इसलिए ऐसा लग रहा था कि वे भारत से नाखुश थे और दूरी बनाना चाहते थे. लेकिन बड़ी बात यह है कि मालदीव के लोगों और विभिन्न राजनीतिक दलों में भारत के लिए बहुत प्यार है. यह बात अंततः उभरी और राष्‍ट्रपत‍ि मुइज्‍जू पर दबाव बना.
चीन से उम्‍मीदें पूरी नहीं हुईं
राजीव भाटिया कहते हैं, मुहम्‍मद मुइज्‍जू को चीन से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वह पूरी नहीं हुईं. भारत ने स्थिति को परिपक्वता और व्यावहारिकता से संभाला. हमने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मालदीव में अपने अच्छे काम जारी रखे. फिर हमारे विदेश मंत्री ने मालदीव का दौरा किया और मुइज्‍जू पिछले साल भारत आए.

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