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हिंदू शरणार्थियों की बस्ती पर चलेगा बुल्डोजर, शरणार्थी बोले- मरना पसंद था लेकिन मुस्लिम बनना नहीं

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साल 2011 में पाकिस्तान में प्रताड़ना और काफ़िर शब्द से परेशान होकर हिंदुस्तान की जमीन पर कदम रखा और दिल्ली के मजनू का टीला को अपना ठिकाना बनाया. अब इन हिंदू शरणार्थियों को मजनू का टीला से भी जाना होगा, क्योंकि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस जमीन को खाली करने का आदेश जारी कर दिया है. दिल्ली विकास प्राधिकरण की नोटिस में साफ तौर पर लिखा गया है कि 15 7.2025 और 16-7-2025 गुरुद्वारा मजनू का टीला, पश्चिमी तट के दक्षिण में यमुना नदी बाढ़ के मैदान पर डीडीए, अतिक्रमण के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चलाने वाला है.
ऐसे में 14- 07-2025 तक इस क्षेत्र को खाली कर दिया जाए. अन्यथा 15 और 16 जुलाई तक अतिक्रमण के विरुद्ध ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जाएगा. उसमें जो भी नुकसान होगा उसके लिए लोग खुद जिम्मेदार होंगे. हालांकि, आज तारीख 22 जुलाई हो गई है और ध्वस्तीकरण की तारीख निकल चुकी है. अभी तक फिलहाल दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से कोई भी ध्वस्तीकरण अभियान यहां पर नहीं चलाया गया है. इन सब के बावजूद हिंदू शरणार्थी दहशत में है और अपना-अपना सामान पैक कर रहे हैं. हमने यहां पर पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट की और हिंदू शरणार्थियों का दर्द जाना.
मरना पसंद था लेकिन मुस्लिम बनना नहीं
हमने यहां के प्रधान धर्मवीर से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां पर ढाई सौ परिवार हैं. सभी पाकिस्तान से आए हुए हिंदू शरणार्थी हैं. पूरे हिंदू शरणार्थी यहां पर रहते हैं. इस बस्ती में हर एक कदम पर आपको मंदिर मिलेंगे. हर घर में मंदिर है. सरकार हिंदुओं को सहयोग कर रही है, तो फिर हिंदू शरणार्थियों को क्यों नहीं. हिंदू शरणार्थी कौन से देश में जाएंगे.
वहीं यहां पर साल 2011 में पाकिस्तान की सिंध से आई हुई मैना ने बताया कि यहां पर एक झोपड़ी बनाने में 10 साल का वक्त लग गया. 10 साल बिना लाइट के रहे. अब कुछ सुविधा हुई हैं, तो अब इसको भी तोड़ने का फैसला आ गया है. अगर सरकार इसे तोड़ रही है तो कम से कम हमें मकान दे दे या कुछ रोजगार के अवसर दे दे, ताकि हम हिंदू शरणार्थी जो पाकिस्तान से अपने हिंदू धर्म को बचाने के लिए आए हैं, वो अपने वतन में सुकून से जी सकें, क्योंकि हमें मरना पसंद था लेकिन मुस्लिम बनना नहीं इसलिए हिंदुस्तान आए थे. उन्होंने बताया कि सबके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और तो और नागरिकता भी है.
यहां पर रह रही सीमा ने बताया कि साल 2011 से लेकर 2013 के बीच पाकिस्तान में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हुआ, इसीलिए इसी दौरान हिंदुस्तान में हिंदू शरणार्थी आए और ज्यादातर दिल्ली के मजनू का टीला के इसी बस्ती में रह रहे हैं. सभी हिंदू शरणार्थी हैं. छोटे-छोटे बच्चों को लेकर अब कहां जाएंगे अगर इस बस्ती को उजाड़ दिया गया. यहां पर रह रही विमला ने बताया की उम्र बीत गई यहां पर रहते हुए क्या सरकार के दिल में हिंदू शरणार्थियों के लिए कोई हमदर्दी नहीं है. बहुत टेंशन हो गई है कि कहां जाएंगे. क्या करेंगे. सरकार को हम हिंदू शरणार्थियों को बसाने पर ध्यान देना चाहिए और इस बस्ती को ना उजाड़ा जाए. वरना कई हिंदू शरणार्थी फिर से परेशान होंगे.

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