शिक्षकों की क्या हैं मांग?
वारासिवनी विकासखंड की अतिथि शिक्षिका दीपकला राहंगडाले ने बताया कि सरकार की शर्त है कि ई-अटेंडेंस नहीं लगाने पर मानदेय नहीं मिलेगा, लेकिन हम न तो स्थायी हैं न ही सुविधाओं से युक्त हैं. ऐसे में यह आदेश हमारे अधिकारों का हनन है. हम लंबे समय से ई-अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं. वहीं महकेपार के शिक्षक पेमेंद्र पारधी ने कहा कि हैं, शासन टस से मस नहीं हो रहा. बालाघाट जिले और प्रदेशभर में जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाएं.
रिक्त पदों पर फॉलन आउट अतिथि शिक्षकों को वरीयता दी जाए.पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सितम्बर 2023 को की गई घोषणाओं को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.स्कोर कार्ड में अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष 10 अंक जोड़े जाएं.चयन परीक्षा में 20 अतिरिक्त अंक तथा विभागीय परीक्षा को राजपत्रित मान्यता प्रदान की जाए.अवकाश की सुविधा दी जाए और नियमित शिक्षकों की तरह वेतनवृद्धि की जाए.
शिक्षकों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे सरकार तक उनकी मांगें शीघ्र पहुंचाएं और समाधान के प्रयास करें. साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि जल्द कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है.
ई-अटेंडेंस को लेकर बालाघाट की यह सामूहिक हड़ताल आने वाले दिनों में प्रदेश के अन्य जिलों में भी फैल सकती है. अतिथि शिक्षकों में लगातार यह भावना बढ़ रही है कि सरकार उनके योगदान को नज़रअंदाज़ कर रही है.
ज्ञापन के माध्यम से अतिथि शिक्षकों ने 50 से 70 हजार अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं. यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम सभी शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. अगर हमें नियमित शिक्षक की तरह सुविधाएं दी जाती हैं तब हम ई-अटेंडेंस का पालन करने को तैयार हैं.