Home News छत्तीसगढ़ में घरों की दीवारों पर माओवादियों ने क्या लिखा है

छत्तीसगढ़ में घरों की दीवारों पर माओवादियों ने क्या लिखा है

13
0

चुनावकर्मियों को मतदान केंद्र ले जाते हेलिकॉप्टर

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए तैयारियां आख़िरी चरण में हैं.

यहां सोमवार यानी 12 नवंबर को 18 सीटों पर पहले चरण का मतदान होगा. इसके बाद 20 नवंबर को बाकी 72 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे.

इसके मद्देनज़र चुनाव से दो दिन पहले शनिवार को भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर मतदान कर्मियों के दलों को पहुंचाने का काम करते रहे.

नारायणपुर ज़िला प्रशासन के अनुसार रविवार को भी ये सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि यहां कई ऐसे मतदान केंद्र हैं जहां आवाजाही का कोई और साधन नहीं है.

ये वो इलाक़े हैं जहां माओवादियों ने चुनाव बहिष्कार का एलान किया है. बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और नारायणपुर के सुदूर इलाक़ों में बहिष्कार का ख़ासा असर रहा और कई इलाक़ों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और उम्मीदवार प्रचार के लिए नहीं जा सके.

दीवारों पर बहिष्कार के नारे

पिछले विधानसभा चुनावों में बस्तर संभाग के 2,634 मतदान केंद्रों में से 68 ऐसे थे जहां एक भी वोट नहीं पड़ा था जबकि 80 ऐसे केंद्र थे जहाँ 20 से भी कम वोट पड़े.

बीजापुर के भोपालपटनम के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी पीताम्बर पटेल ने बीबीसी से कहा कि अंदरूनी इलाक़ों में माओवादियों ने स्कूल की दीवारों पर बहिष्कार के नारे लिखे हैं और पर्चे भी लगाए हैं.

इन पर्चों में भाजपा सरकार को मज़दूर और किसान विरोधी बताया गया है और लोगों से सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने की अपील की गई है.

पटेल कहते हैं कि पिछले चुनाव में जिन जगहों पर एक भी वोट नहीं पड़ा था, वहां मतदान दहाई के अंक तक भी पहुंचता है तो ये बड़ी उपलब्धि होगी.

उनके मुताबिक पिछले विधानसभा चुनावों में बीजापुर में सिर्फ़ 45 फ़ीसदी मतदान ही दर्ज किया गया. बीजापुर ही वो ज़िला है जहां पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे ज़्यादा वोट नोटा (NOTA) पर पड़े थे.

इसी तरह दंतेवाड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी और महेंद्र कर्मा की विधवा देवती कर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भीमा मंडावी को 5,987 मतों से हराया था. दंतेवाड़ा में नोटा पर 9,677 वोट पड़े थे.

‘बारूदी सुरंगों का जाल’

कुछ स्थानीय लोग बताते हैं कि माओवादी ही ग्रामीणों से कह रहे हैं कि वे वोट देने पर मजबूर किये जाएं तो नोटा यानी ‘इनमे से कोई नहीं’ का बटन दबाएं.

पटेल कहते हैं कि माओवादियों ने मतदान में रोड़े अटकाने और सुरक्षा बलों पर हमले करने की योजना बनाई है और अंदरूनी इलाक़ों में बारूदी सुरंगों का जाल बिछा दिया है.

इसलिए संवेदनशील इलाक़ों में हेलिकॉप्टर से मतदानकर्मियों को भेजा जा रहा है.

चुनाव बहिष्कार करने की अपील करता माओवादियों का एक पर्चा

अब तक बस्तर समेत आस-पास के सात ज़िलों के लिए सुरक्षा बलों की अतिरिक्त 550 कंपनियों को तैनात किया गया है.

बस्तर में पहले ही से अर्धसैनिक बल तैनात हैं. इसके अलावा राज्य की पुलिस भी तैनात की गई है.

चुनाव से पहले दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में तो माओवादी हिंसा का दौर चलता रहा है. एक के बाद एक हुए कई हमलों की वजह से अंदरूनी इलाकों में दहशत का माहौल है. रविवार को ही कांकेर में माओवादियों ने छह धमाके किए जिसमें बीएसएफ़ के एक सब-इंस्पेक्टर की मौत हो गई.

मतदान न करने का आह्वान करता एक पर्चा

दंतेवाड़ा के निल्वाया और बचेली में हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए हैं जिसमें सुरक्षा बल के जवान, पत्रकार और आम ग्रामीण शामिल हैं.

सबकी निगाहें बस्तर की 12 सीटों पर होंगी क्योंकि साल 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने इनमें से 11 सीटें जीती थीं. वहीं 2013 में कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं.

अब बीजेपी के सामने उन सीटों को फिर से जीतने की चुनौती है जो उसने साल 2013 में गंवा दी थीं.

इस बार कांग्रेस के लिए भी बस्तर में चुनौती कम नहीं है. पिछली बार कांग्रेस के बड़े नेताओं की माओवादियों द्वारा की गई हत्या की वजह से उन्हें सुहानुभूति मिली थी. इस बार टक्कर कांटे की है.

शायद इस कांटे की टक्कर को समझते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जैसे नामी चेहरों ने यहां बिना कोई कोताही बरते चुनावी रैलियां और सभाएं की हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here