पिछले दिनों बीजापुर में जब नक्सलियों ने सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर हमला करके चार जवानों को शहीद कर दिया तब मैं भी कुछ ही किलोमीटर दूर सीआरपीएफ की एक टुकड़ी के साथ था. सीआरपीएफ के जवान अपनी रूटीन एरिया डॉमिनेशन एक्सरसाइज पर थे जब यह हमला हुआ. मेरे साथ सुकमा में सीआरपीएफ की 226वीं बटालियन की एक टुकड़ी भी यही एक्सरसाइज कर रही थी.
नक्सलियों के इस लालगढ़ बस्तर में इलाके पर अपना प्रभुत्व जमाना सबसे महत्वपूर्ण है. इसीलिए यहां सीआरपीएफ एरिया डॉमिनेशन की एक्सरसाइज करती रहती है. जिसके पास जितने अधिक इलाके पर कब्जा होगा वह उतना ही ताकतवर होता जाएगा. यही वजह है कि सीआरपीएफ लगातार अपनी मौजूदगी यहां बढ़ाती जा रही है.
नक्सलगढ़ बस्तर में सीआरपीएफ की 20 बटालियन तैनात हैं. चुनाव के समय यह तैनाती और अधिक बढ़ जाती है. मतदान वाले दिन तक बस्तर इलाके में लगभग हर पांच मतदाता पर एक जवान तैनात रहता है. इसके बावजूद नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार की धमकी का हर बार खासा असर देखा जाता है. क्योंकि चुनाव के बाद जवान गांव से चले जाते हैं और नक्सली आ जाते हैं.
बस्तर के दुर्गम इलाके में आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती शांतिपूर्ण औऱ भयमुक्त मतदान करवाना है. बस्तर में 1190 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील जबकि 992 संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. यहां कुल 2859 पोलिंग बूथ हैं. नक्सलवाद ने पिछले दो साल में 141 जवानों की जान ली है. इसमें हाल ही में बीजापुर नक्सली हमले में चार जवानों की शहादत शामिल हैं. इस हमले के दो दिन बाद ही नक्सलियों ने एक बीजेपी कार्यकर्ता पर चाकू से हमला किया. इस घटना के अगले दिन बीजेपी के स्टार प्रचारक रवि शंकर प्रसाद का चुनाव प्रचार कार्यक्रम रद्द करना पड़ा.
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं पर झीरम घाटी में नक्सली हमले को कौन भूल सकता है. चुनावी साल में हुए उस हमले ने कांग्रेस पार्टी के लगभग पूरे नेतृत्व को ही खत्म कर दिया था. उसके बाद से मतदाताओं के अलावा राजनीतिक कार्यकर्ताओं में भी दहशत बढ़ गई. आज भी बस्तर में कई ऐसे गांव हैं जहां चुनाव की आहट तक नहीं पहुंची है. गांव वालों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि वहां मतदान होने वाला है.
क्या हैं सुरक्षा के इंतजाम
यही वजह है कि हर बार की तरह इस बार भी व्यापक सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. एक एयर एंबुलेंस के साथ चार हेलीकाप्टर तैनात किए जाएंगे, जो हवाई निगरानी करेंगे. एयर एंबुलेंस जगदलपुर हवाई अड्डे पर तैनात रहेगा, जिससे जवानों को किसी भी विपरीत परिस्थिति में तुरंत एक्शन लेने में मदद मिलेगी.
नक्सलियों के मूवमेंट पर नज़र रखने के लिए मानव रहित ड्रोन की सेवा ली जा रही है. संभाग के 12 विधानसभा क्षेत्रों में 12 नवंबर को होने जा रहे पहले चरण के मतदान को लेकर बस्तर पुलिस ने संवेदनशील, अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में पिछले दो हफ्तों से सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है. भारतीय तिब्बत सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय सुरक्षा बल, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सीमा सुरक्षा बल के जवानों की टुकड़ियां बस्तर पहुंच चुकी हैं. बारूदी सुरंग के खतरे को देखते हुए प्रशिक्षित खोजी कुत्ते, अत्याधुनिक बम डिटेक्टर सिस्टम के साथ जवानों की ड्यूटी लगा दी गई है.