चुनाव आयोग को लेकर सवाल ”ईवीएम के बारे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय”
”ईवीएम के बारे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी आया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक को चुनाव आयोग पर विश्वास रखना चाहिए.”
”लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि चुनाव आयोग विश्वास के लायक है या नहीं. अभी क्या हो रहा है? पहले चरण के मतदान का डेटा 11 दिन बाद बेवसाइट पर आया. वो भी इतना ही आया है कि कितने परसेंट वोटिंग हुई. ये नहीं आया है कि कितने वोट डाले गए.”
”इसका कारण मैं नहीं जानता. कुछ लोग कहते हैं इसमें विश्वास रखा जाए. हम विश्वास रखेंगे. लेकिन चुनाव आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताना चाहिए कि इसमें देरी क्यों हुई है.”
कपिल सिब्बल ने कहा, ”मैंने कई पूर्व चुनाव आयुक्तों से बात की है. उन्होंने बताया है कि जब वो थे तो अगले दिन सुबह तक वेबसाइट पर डेटा आ जाता था की कितने लोगों ने वोट डाला है.”
”तो 11 दिन क्यों लगे? जब ये संदेह पैदा होता है तो निश्चित रूप से विश्वास कम होता है.”
चुनाव आयोग ने मंगलवार (30 अप्रैल) को जानकारी देते हुए बताया है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है.
पहले चरण के लिए 102 सीटों पर मतदान 19 अप्रैल को हुआ था, जबकि दूसरे चरण में 88 सीटों पर 26 अप्रैल को वोट डाले गए थे.
चुनाव आयोग ने जो डेटा जारी किया है उसमें वोटिंग के प्रतिशत की जानकारी दी गई है लेकिन कितने वोट पड़े हैं उसकी संख्या की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
विपक्ष का आरोप है कि आमतौर पर वोटिंग प्रतिशत का यह आंकड़ा 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है. प्रतिशत के साथ साथ वोटों की संख्या को भी पहले के चुनावों में शेयर किया जाता रहा है तो इस बार ऐसा क्यों नहीं किया गया.