नक्सल प्रभावित बस्तर के सुदूर गांवों में, जहां हिंसा के दबाव में युवा पढ़ाई छोड़ने को बाध्य हो जाते हैं, डॉ. वर्णिका शर्मा निडर होकर उन्हें बेहतर भविष्य की राह दिखा रही हैं। डिफेंस स्टडीज की शिक्षिका वर्णिका, कोर नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के सरकारी स्कूलों में करियर की पाठशाला लगा रही हैं।
वर्णिका का ध्येय ऐसे युवाओं तक पहुंचकर उन्हें बेहतर भविष्य की राह पकड़ाना होता है, जिन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी या 10वीं 12वीं की पढ़ाई किसी तरह पूरी कर लेने के बाद भी बेरोजगार हैं। वे इन युवाओं को पढ़ाई के बाद रोजगार के तमाम उपलब्ध अवसरों की हरसंभव जानकारी देती हैं और आगे बढ़ने में उनकी मदद करती हैं। नक्सल हिंसा से ग्रस्त बस्तर संभाग में ऐसा करना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है, इसके लिए मजबूत दिल-दिमाग की जरूरत पड़ती है।
बकौल वर्णिका, बस्तर के ज्यादातर युवाओं की सोच बेहतरीन है। वे विकास की राह पर आगे बढ़ना भी चाहते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण गलत रास्ता अख्तियार कर लेते हैं। वर्णिका बताती हैं, नारायणपुर में ओरछा के आगे कई स्कूलों में शिक्षकों और अभिभावकों की मदद से नए प्रयोग किए हैं।
यहां उनकी टीम छात्रों में सकारात्मकता के बीज बो रही है। उन्हें काउंसिलिंग के माध्यम से सही दिशा दिखा रही है। इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या स्कूलों में छात्रों की कम होती संख्या और पलायन था, लेकिन काउंसिलिंग के बाद इन दोनों ही वजहों पर रोक लग रही है।
वर्णिका और उनकी टीम छात्रों को पढ़ाई के दौरान विषय चयन, 12वीं के बाद बेहतर कॉलेजों की जानकारी और पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार के अवसरों आदि की जानकारी देती है। उनके द्वारा यहां विज्ञान के शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए स्कूलों में डिजिटल पढ़ाई का प्रस्ताव भी दिया गया है।
छात्रों की काउंसिलिंग का असर नजर आने लगा है। एक स्कूल के बच्चों ने कचरे के विशाल ढेर पर सुंदर बाग तैयार कर दिखाया है। इससे प्रभावित होकर नीति आयोग ने मदद के लिए 10 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। अटल टिंर्कंरग लैब और प्रोजेक्टर आदि सुविधाएं स्कूलों को मुहैया कराई गई हैं।