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यहां गांवों में खौफ का माहौल, धान की खुशबू के कारण बढ़ा ऐसा खतरा

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 छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। प्रदेश में अनेक प्रकार की खुशबूदार धान की पैदावार की जाती है। इस वर्ष प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है, इसलिए धान की अच्छी फसल होने की उम्मीद लगाई जा रही है। धान की खुशबू हाथियों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। खुशबू से प्रभावित होकर हाथी उत्पात मचा सकते हैं।

हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए प्रत्येक वन मंडल में उड़नदस्ता की टीम गठित की गई है। उड़नदस्ता की टीम ड्रोन से हाथियों पर नजर रखेगी। उड़नदस्ता का काम हाथियों के आतंक को रोकना तथा ग्रामीणों को वहां से सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी होगी।

ज्ञात हो कि प्रदेश के नौ जिलों में हाथियों का झुंड भोजन और पानी की तलाश में आना-जाना आम हो गया है। प्रदेश में धान की फसल तैयार हो रही है। ऐसे में धान की खुशबू उनको गांव तरफ जरूर खींचेगी, इसलिए हाथियों पर अंकुश तथा उत्पात को रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।

हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए वन विभाग ने 14 एरावत उड़नदस्ता टीम का गठन किया है। टीम में कुल आठ कर्मचारियों को रखा गया है। उड़नदस्ते में शामिल वनकर्मी चार-चार घंटे की दो पाली में गश्त करेंगे।

उड़नदस्ता टीम ड्रोन से करेगी हाथियों की निगरानी

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि उड़नदस्ता टीम को मोबाइल, ड्रोन और कंप्यूटर दिया जाएगा, जिससे कर्मचारियों के पल-पल के मूवमेंट की जानकारी मिल सके। इसके साथ ही ड्रोन से हाथियों के मूवमेंट की जानकारी मिलेगी। ड्रोन को मुख्यालय से कनेक्ट किया जाएगा।

इससे हाथियों को रोकने के लिए एक साथ भारी संख्या में कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंच सकेंगे। उड़नदस्ता टीम को लाइट, मोटी रस्सी, सीढ़ी, गांव वालों को सचेत करने सायरन के अलावा घायल हाथियों का प्राथमिक उपचार करने मेडिकल किट उपलब्ध कराया गया है। हाथियों के दल को रोकने के लिए पावर फेंसिंग और मधुमक्खी का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

गांव वालों को उड़नदस्ता की टीम कर रही जागरूक

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीणों को चेताया जा रहा है कि ग्रामीण खेत-खलिहान में न सोएं, अकेले कहीं न जाएं, समूह बनाकर जाएं, हाथी के आने पर उनके पास न जाएं, हाथियों को न छेड़ें, न पटाखे फोड़ें, हाथियों के आने पर स्कूल और पंचायत भवन की छतों पर शरण लें आदि अन्य कई सुझाव दिए जा रहे हैं।

इतने हाथी हैं यहां

सरगुजा वन वृत्त में 114, बिलासपुर वन वृत में 107, रायपुर वनवृत में 19, कुल 220 हाथी वर्तमान में विचरण कर रहे हैं। वैसे इनकी संख्या 314 है, जो ओडिशा के जंगलों से इनका यहां मूवमेंट होता रहता है।

हाथियों से प्रभावित होने वाले जिले

1- सरगुजा- 17 गांव

2- सूरजपुर -48 गांव

3- बलरामपुर- 42 गांव

4- धरमजयगढ़- 18 गांव

5- कोरबा- 17 गांव

6- रायगढ़ – 20 गांव

7- कटघोरा- 12 गांव

8- महासमुंद- 17

9- बलौदाबाजार 20

– हाथी-मानव द्वंद्व रोकने के लिए 14 उड़नदस्ता की टीम गठित की गई है। टीम इस बार ड्रोन से हाथियों पर नजर रखेगी, ताकि धान की फसल का नुकसान न हो सके। इसके साथ ही प्रदेश में पावर फेनसिंग और मधुमक्खी से भी हाथियों को रोका जाएगा। – कौशलेन्द्र कुमार सिंह, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ

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