राजस्थान विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. चुनावी बिगुल बजने के साथ ही बीजेपी ने 41 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.
हर पांच साल पर सरकार बदलने का रिवाज के पीछे 119 विधानसभा सीटें है, जिसके मिजाज बदलने से ही सारा सियासी खेल बिगड़ जाता है.
देखना है कि इस बार राजस्थान की सियासत में यह परंपरा बरकरार रहती है या फिर कांग्रेस उसे तोड़ने में सफल रहती है?
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें है, जिनमें 60 सीटों पर बीजेपी काफी मजबूत है और यहां पर लगातार उसे जीत मिलती आ रही है.
ऐसे ही 21 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति हमेशा बेहतर रही है, उसे यहां पर हार का मूंह नहीं देखना पड़ा है.
इस तरह 81 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के विधायक परंपरागत तौर पर जीत दर्ज कर रहे हैं, लेकिन 119 सीटों पर मतदाता का मूड बदलता रहा है.
यही 119 सीटें राजस्थान की सत्ता परिवर्तन की इबरात हर पांच साल पर लिखती हैं. बीजेपी और कांग्रेस का पूरा फोकस इन्हीं 119 सीटों पर है.
यहां के मतदाता हर चुनाव में पार्टी और विधायक दोनों को ही बदल देते हैं.
प्रत्याशी की सक्रियता को ध्यान में रखकर वोटिंग करते हैं, जिसके चलते सियासी मिजाज बदलता रहा है.
साल 1972 से लेकर 2018 तक हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखने से जाहिर होता है कि 60 विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां बीजेपी दो बार से लेकर छह बार तक जीत दर्ज करती रही है.
बीजेपी 13 सीटों पर चार बार से ज्यादा दर्ज करती आ रही तो 13 सीटें ऐसी हैं, जिन पर तीन बार से कब्जा है जबकि 33 सीटें विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर रही है.
पिछले चार चुनाव से जीतने वाली सीटों में राजसमंद, उदयपुर, लाडपुरा, झालरापाटन, नागौर, सांगानेर, रेवदर, खानपुर, भीलवाड़ा, सोजत, ब्यावर, राजगंजमंडी और फुलेरा शामिल है.
वहीं, बीजपी जिन सीटों पर तीन बार से जीत दर्ज कर रही है, उसमें सूरसागर, भीनमाल, कोटा साउथ, बूंदी, अजमेर नार्थ, अजमेर साउथ, बीकानेर ईस्ट, सिवाना, अलवर सिटी, मालवीय नगर, रतनगढ़, विद्याधर नगर और आसींद सीट है.
कांग्रेस के पास भले ही मौजूदा समय में 108 सीटों पर कब्जा हो, लेकिन उसके दबदबे वाली महज 21 सीटें है.
इन सीटों पर पांच बार से लेकर दो चुनाव कांग्रेस जीत रही है. कांग्रेस पांच बार सिर्फ एक सीट पर ही जीत सकी है.
जोधपुर की सरदारपुरा सीट है, जहां से अशोक गहलोत सीएम हैं और बाडी सीट पर चार बार दर्ज किया है.
छह सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस लगातार तीन चुनाव से जीत दर्ज करती आ रही है. यह सीटें सरदार शहर, झुंझुनू, बागीदौरा, फतेहपुर, सपोटरा और बाड़मेर सीट है.
इसके अलावा 13 सीटें ऐसी है, जहां पर पिछले दो चुनाव से कांग्रेस का कब्जा है. यह सीटें डीग कुमेर, सांचौर, बड़ी सादड़ी, चित्तौड़गढ़, कोटपूतली, सरदारशहर हैं.
राजस्थान में 119 सीटों पर मतदाताओं का हर चुनाव में बदलने वाला सियासी मूड सिर्फ सत्ता परिवर्तन ही नहीं करता बल्कि मौजूदा मंत्रियों को भी पैदल कर देता है.
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 18 में से 15 कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गए थे और 13 राज्यमंत्रियों में से चार जीत सके थे.
ऐसे ही 2013 के विधानसभा चुनाव में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तीन मंत्री ही चुनाव जीत सके थे और 12 कैबिनेट मंत्रियों का हार का मूंह देखना पड़ा था.
इसी तरह 18 राज्यमंत्रियों से दो ही जीत सके थे और 16 को हार का मूंह देखना पड़ा था.
2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 20 कैबिनेट मंत्रियों में से 9 चुनाव हार गए थे और 11 ही अपनी सीट बचा सके थे.
13 राज्यमंत्रियों से महज तीन ही जीत सके थे और 10 को हार का मूंह देखना पड़ा था. इसी तरह 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दो-दो उपमुख्यमंत्री को हार का मूंह देखना पड़ा था.
2003 के विधानसभा चुनाव में गहलोत के अगुवाई सरकार के 25 कैबिनेट मंत्रियों में से 7 मंत्री ही जीत सके थे और 18 को हार का मूंह देखना पड़ा था.
22 राज्यमंत्रियों में से सिर्फ तीन ही जीत दर्ज किए थे और 19 को हार का सामना करना पड़ा था.
राजस्थान विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी और कांग्रेस पूरे दमखम के साथ जुटी है, लेकिन चुनावी ट्रेंड से दोनों ही पार्टियों की धड़कने बढ़ी हुई है.
बीजेपी इस उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन का रिवाज बरकरार रहता है तो उसकी वापसी संभव है.
कांग्रेस और बीजेपी का पूरा फोकस राज्य की उन 119 सीटों पर है, जहां मतदाताओं का रुख हर चुनाव में बदल जाता है.
इसके चलते गहलोत सरकार के मंत्रियों की चिंता भी बढ़ गई और उनके सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है.
ऐसे में सभी की निगाहें कांग्रेस की लिस्ट पर है. कांग्रेस किन मंत्रियों को दोबारा से टिकट देती है और किसे ड्रॉप करती है.