रांची : विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य पुलिस के स्पेशल ब्रांच के आइजी, प्रभात कुमार से मुलाकात की. डीजीपी से मिलने की मांग पर डीजीपी ने आइजी को इसके लिए नियुक्त किया था.
प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पुलिस महानिदेशक को संबोधित मांग पत्र दिया, जिसमें कहा गया है कि मीडिया में ऐसी खबरें आयी हैं कि ऐसे 64 संगठनों की सूची बनायी गयी है, जिन पर भाकपा (माओवादी) से तथाकथित संबंध होने का संदेह है और झारखंड पुलिस की ओर से स्पेशल ब्रांच को इन 64 संगठनों की जांच करने का आदेश दिया गया है. पिछले कुछ दिनों से स्पेशल ब्रांच के पुलिस अधीक्षकों व उपाधीक्षकों को भेजे गये विभागीय पत्र का एक हिस्सा और इन संगठनों की सूची सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही हैं.
मांग पत्र में कहा गया है कि सूची में शामिल अनेक जन संगठन (जो पत्र के हस्ताक्षरी भी हैं) अचंभित और व्यथित हैं. इन संगठनों द्वारा लगातार राज्य के आदिवासी, दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों व वंचितों के संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया जाता रहा है. इन संगठनों द्वारा उठाये गये अनेक मुद्दों पर विभिन्न मंत्रियों व मुख्यमंत्री ने खुद संज्ञान लिया है. यदि राज्य पुलिस द्वारा ऐसी सूची बनायी गयी है और जन अधिकारों पर संवैधानिक दायरे में शांतिपूर्वक रूप से संघर्षरत जन संगठनों पर इस प्रकार का आरोप लगाया जा रहा है, तो राज्य पुलिस इस सूची को तुरंत खारिज करे. इस मांग पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव व गृह सचिव को भी दी गयी है.
मांग पत्र देनेवाले जनसंगठन
मांग पत्र देने वालों में आदिवासी अधिकार मंच; आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच, आदिवासी वीमेंस नेटवर्क, आदिवासी यंगस्टर यूनिटी, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, बगाईचा, सीपीआई (एमएल रेड स्टार), एकल नारी सशक्ति संगठन, गांव गणराज्य परिषद, एचआरएलएन, हॉफमैन लॉ एसाेसिएटस, हासा और भाषा जगाओ संगठन, झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड नरेगा वॉच, झारखंड किसान परिषद चांडिल, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, जोहार, जोहार असंगठित मजदूर संघ, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच पश्चिमी सिंहभूम, केंद्रीय जन संघर्ष समिति, महिला मुक्ति संघर्ष समिति, पीयूसीएल, समाजवादी जन परिषद, साझा कदम, शहीद स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा, ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर सेंटर, यूनाइटेड मिल्ली फॉरम, विस्थापन मुक्ति वाहिनी आदि संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं.