World Suicide Prevention Day 2023: आज यानी 10 सितंबर को पूरी दुनिया में ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे’ मनाया जाता है. इन दिन का मुख्य उद्देश्य है लोगों को आत्महत्या के बारे में जागरूक करना.
लोगों को ये बताना कि मुश्किलों से भागकर अपनी जिंदगी को खत्म कर देने की बजाय कई अन्य पॉजिटिव और बेहतर विकल्प भी चुने जा सकते हैं. लोगों को सुसाइड ना करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार, तमाम संगठनों द्वारा कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. आजकल दुनिया भर में सुसाइड करने के मामले लगातार बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. सुसाइड के इन बढ़ते मामलों को रोकने के लिए डब्लूएचओ और अंतर्राष्ट्रीय संघ ने मिलकर वर्ष 2003 में ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे’ की शुरुआत की थी. ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2023’ की थीम इस बार क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन (Creating Hope Through Action) रखी गई है.
युवाओं में बढ़ता डिप्रेशन आत्महत्या की वजह
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जिसे देखो वह स्ट्रेस और चिंता में जी रहा है. किसी को अच्छी नौकरी पाने की चिंता है तो किसी के ऊपर पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने का प्रेशर है. किसी की लव लाइफ, शादीशुदा जिंदगी में स्ट्रेस है तो किसी का कोई बेहद करीबी दूर चला गया है. ये तमाम बातें स्ट्रेस और डिप्रेशन का कारण बनती हैं. क्या आपका भी कोई बेहद करीबी दोस्त कुछ दिनों से परेशान, स्ट्रेस नजर आ रहा है? लोगों से मिलने-जुलने में कतरा रहा है, अकेले रहने लगा है या फिर खुद में ही खोया रहता है? यदि हां, तो आपकी उसे सख्त जरूरत है. हो सकता है वह चिंता, डिप्रेशन से ग्रस्त हो. डिप्रेशन कई बार आत्महत्या का कारण बनता है. बेहतर है कि आप अपने दोस्त की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गौर करके उसे डिप्रेशन और चिंता से बाहर निकाल लें.
दोस्त को डिप्रेशन और चिंता से बाहर निकालने के लिए क्या करें
1. लिसुन (LISSUN) मानसिक स्वास्थ्य में परामर्श मनोवैज्ञानिक चैत्रा नंजुंदा के अनुसार, यदि आपका कोई दोस्त डिप्रेशन या एंजायटी से जूझ रहा है तो सबसे पहले आप खुद को शिक्षित करें. अपने मित्र के ट्रिगर्स और उन कारणों के बारे में जानें, जो उसे डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों के प्रति संवेदनशील बना रहा है.
2. अपने दोस्त की भावनाओं और बातों को ध्यानपूर्वक सुनने की कोशिश करें. ‘यह सब तुम्हारे दिमाग में है’, ‘तुम अंततः बेहतर महसूस करोगे’, ‘इससे बाहर निकलो’ या ऐसी कोई भी बातें जो उसकी भावनाओं को खारिज कर दे और यह संकेत दे कि उसके मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे वास्तविक नहीं हैं तो इस तरह की बातें बोलने से बचें.
3. दोस्त को किसी पेशेवर की मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करें. एक्सपर्ट की मदद से डिप्रेशन और चिंता से जल्दी उबरने में काफी मदद मिलती है.
4. एक दोस्त होने के नाते आपको भी धैर्य रखना होगा. अवसाद और चिंता से उबरने में आपके दोस्त को वक्त लग सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने दोस्त की प्रगति और असफलताओं के साथ धैर्य रखें.
5. बिना किसी दबाव के मदद करने की कोशिश करें. दोस्त को उसके डेली के काम करने में मदद करें. साथ ही स्पष्ट कर दें कि यदि वे सहज नहीं है तो वे इनकार कर सकता है.
6. अपने दोस्त को जल्दी अच्छा देखना चाहते हैं, उसके अंदर से आत्महत्या का ख्याल निकालना चाहते हैं तो उसकी भलाई के लिए निरंतर समर्थन दें. नियमित रूप से उससे मिलते रहें. आप फोन या मैसेज करके बात करते रहें, इससे वह अकेला महसूस नहीं करेगा. दोस्त को सेल्फ-केयर करने के लिए प्रोत्साहित करें. मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल का क्या महत्व होते है, इस बारे में बताएं.
इन बातों का भी रखें ख्याल
डॉ. एलएच हीरानंदानी हॉस्पिटल (पवई, मुंबई) के मनोचिकित्सक डॉ. ऑस्टिन फर्नांडीस कहते हैं कि अवसाद और चिंता आज दुनिया में सबसे प्रचलित मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों में शामिल हैं. आप जिसकी भी परवाह करते हैं, यदि वह डिप्रेशन और चिंता से घिरा हुआ है तो आपका भरपूर साथ, सपोर्ट उसे इन मानसिक समस्याओं से जल्द उबरने में मदद कर सकता है. दोस्तों का किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. अपने दोस्त को डिप्रेशन से बाहर निकालने के लिए एक बेहतर श्रोता बनें. अपने मित्र के विचारों और भावनाओं को सुनने के लिए हमेशा उपलब्ध रहें. तुरंत समाधान देने से बचें, बस उसे स्वयं को अभिव्यक्त करने दें. डिप्रेशन और चिंता से पीड़ित किसी व्यक्ति का समर्थन करने में सहानुभूति महत्वपूर्ण है. ऐसी स्थिति में अपने दोस्त को अकेला ना छोड़ें, बल्कि उसके संपर्क में रहें. इससे उसका अकेलापन कम होगा.
क्या नहीं करना चाहिए
मनोविज्ञान में पीएचडी डॉ. सिया सेठ के अनुसार, अपने दोस्त को ‘इससे छुटकारा पाने’ के लिए कहने से बचें या यह सुझाव देने से बचें कि उसका अवसाद या चिंता सिर्फ एक चरण है. ऐसे कमेंट्स उसकी भावनाओं को अमान्य कर सकते हैं. उसे अलग-थलग महसूस करा सकते हैं. कभी भी अनचाही सलाह न दें. आपके मित्र को संभवतः पता है कि उसके लिए सबसे अच्छा क्या है. ऐसे में आपकी भूमिका अपने स्वयं के समाधान उस पर थोपने की बजाय उसके निर्णयों का समर्थन करना है. दोस्त की अनुमति के बिना उसके संघर्षों को किसी से शेयर करने से बचें. उसकी भावनाओं को व्यक्तिगत रूप से न लें. कई बार वह आपके ऊपर निराश, चिड़चिड़ा या फिर गुस्सा हो सकता है. ऐसे में आपके लिए ये समझना आवश्यक है कि ये व्यवहार उनकी मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का परिणाम हैं. इसे व्यक्तिगत तौर पर न लें. इन सभी बातों का ख्याल रखकर आप निश्चित तौर पर अपने दोस्त को डिप्रेशन, एंजायटी से बाहर ला सकते हैं और उसे आत्महत्या करने से रोक सकते हैं.