पीएम नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मीटिंग के दौरान बुधवार को मंत्रियों को संदेश दिया कि वे सनातन धर्म पर छिड़े विवाद में तर्कों के साथ बोलें। उन्होंने साफ कहा कि वे भारत और INDIA को लेकर छिड़ी बहस की बजाय सनातन धर्म वाले विवाद पर ज्यादा बात करें।
उन्होंने मंत्रियों से कहा कि सनातन धर्म पर विपक्षी नेताओं की ओर से किए जा रहे हमलों का पूर्ण तर्कों के साथ जवाब दिया जाए। इसके लिए अध्ययन करें और ठीक तथ्यों के साथ विपक्ष को करारा जवाब दें। साफ है कि तमिलनाडु के उदयनिधि स्टालिन के बयान और फिर कांग्रेस, AAP, RJD जैसी कई पार्टियों के नेताओं के बयानों को भाजपा मुद्दा बनाने के लिए तैयार है।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी 2024 में इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करेगी। ऐसे वक्त में जब राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। तब इस तरह का मुद्दा भाजपा को थमा देने विपक्ष के लिए एक रणनीतिक चूक हो सकती है। पीएम मोदी ने मंत्रियों से कहा, ‘इतिहास में न जाएं और संविधान के दायरे में रहते हुए तथ्यों पर ही बात करें। इस मामले में मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर ही बोलें।’ संविधान के दायरे में रहकर बोलने की उनकी सलाह का अर्थ यह भी है कि किसी अन्य धर्म पर कोई टिप्पणी न करें। इसकी बजाय विपक्ष को सनातन पर ही जवाब दें।
पीएम मोदी ने भारत बनाम इंडिया वाले मसले पर भी संभलकर बोलने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आधिकारिक प्रवक्ता या फिर पार्टी जिसे जिम्मेदारी दे, वही लोग अपनी बात रखें। हर कोई इस मसले पर बिना सोचे-समझे बोलने से बचे। बता दें कि सबसे पहले अमित शाह ने उदयनिधि स्टालिन के बयान पर हमला बोला था। उसके बाद से ही माना जा रहा है कि 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा इलेक्शन में भाजपा इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के नेताओं की ओर से उदयनिधि के बयान की आलोचना नहीं की गई है। इसके अलावा प्रियांक खरगे जैसे नेताओं ने समर्थन ही कर दिया है।
दक्षिण से उठा मुद्दा, पूरे देश में तय कर सकता है राजनीति की दिशा
इसके चलते भाजपा और आक्रामक हो सकती है। दक्षिण भारत के एक कोने से उठा यह मुद्दा यदि आने वाले वक्त में पूरे भारत की राजनीति की दिशा तय करता दिखे तो कोई हैरानी नहीं होगी। दरअसल भाजपा इस बयान के बहाने खुद को सनातन धर्म की रक्षक के तौर पर पेश करने की कोशिश करेगी।