अडानी ग्रुप के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट एक ‘बुरे जिन्न’ की तरह हो गई, जो बार-बार उसके लिए मुश्किल खड़ी कर देती है. अब अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी ‘अडानी पोर्ट एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन’ की 2017 से ऑडिटर रही कंपनी डेलॉइट ने इस काम से इस्तीफा दे दिया है.
इसके तार भी हिंडनबर्ग रिसर्च से जुड़े हैं. डेलॉइट दुनिया की टॉप ऑडिटिंग कंपनियों में से एक है.
हालांकि डेलॉइट के ऑडिटर के काम से इस्तीफा देने के बाद अडानी ग्रुप ने ‘एमएसकेए एंड एसोसिएट्स’ को अडानी पोर्ट का नया ऑडिटर नियुक्त कर दिया है. फिर भी ऐसा क्या हुआ कि 2017 से ऑडिटिंग का काम संभाल रही डेलॉइट ने अचानक से ऑडिटिंग का काम छोड़ दिया, जबकि 2022 में ही डेलॉइट को 5 साल का एक्सटेंशन दिया गया था.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े तार
हाल ही में डेलॉइट ने अडानी पोर्ट के उन 3 ट्रांजेक्शंस को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जिनका उल्लेख हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में किया गया था. इसी के मद्देनजर डेलॉइट ग्रुप अडानी ग्रुप की अन्य कंपनियों के खाते तक भी पहुंच चाहता था, ताकि ढंग से ऑडिट किया जा सके. इसे लेकर कंपनी के मैनेजमेंट और डेलॉइट में मतभेद हो गए, और डेलॉइट ने विदाई लेने का मन बना लिया.
अडानी पोर्ट की नई ऑडिटर फर्म ‘एमएसकेए एंड एसोसिएट्स’ असल में बीडीओ इंटरनेशनल की एक स्वतंत्र इकाई है. ये दुनिया की टॉप-6 ऑडिट फर्म में से एक है. अडानी पोर्ट की ओर से भी डेलॉइट के इस्तीफे जानकारी कन्फर्म कर दी गई है.
अडानी पोर्ट ने हाल में अप्रैल- जून तिमाही के परिणाम घोषित किए हैं. इसमें कंपनी का प्रॉफिट 80 प्रतिशत उछलकर 2,119.38 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. शुक्रवार को अडानी ग्रुप का शेयर 2.25 रुपये की गिरावट के साथ 800.65 रुपये पर बंद हुआ था.