बीएसपी सुप्रीमो 2024 के रण में ‘एकला चलो रे’ की तर्ज पर अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहती हैं. मायावती ने अपने जन्मदिन पर कहा था कि बीएसपी इस साल होने वाले चार राज्यों के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी बल्कि अपने दम पर लड़ेगी, लेकिन उनकी पार्टी के सांसद को विपक्षी एकता का हिस्सा बनने में ज्यादा फायदा दिख रहा है.
गठबंधन में लड़ने में फायदा या नुकसान?
साल 2019 के आम चुनावों में बीएसपी ने सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (SP) और जयंत चौधरी की आरएलडी (RLD) के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीएसपी को इसका फायदा भी हुआ था. क्योंकि BSP के खाते में 10 सीटें आई थीं तो SP को बस 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. बहुजन समाज पार्टी के नेता चाहते हैं कि पार्टी विपक्षी एकता की मुहिम का हिस्सा बनते हुए 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े.
दरअसल यूपी के अमरोहा संसदीय सीट से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने मंगलवार को 2018 में जेडीएस-कांग्रेस के शपथ ग्रहण समारोह की एक तस्वीर ट्वीट की है, जिसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी, मायावती, आंध्र प्रदेश के पूर्व CM एन चंद्रबाबू नायडू, एचडी कुमारस्वामी और कुंवर दानिश अली खुद फ्रेम में हैं.
तो देखा आपने कैसे दानिश ने मायावती के रुख से अलग हटकर लिखा- विपक्षी एकता की जरूरत आज पहले से कहीं ज्यादा है. आइए हम सब एकजुट हों. इसके अलावा बीएसपी के कुछ सांसद पर्दे के पीछे रहकर ही विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं. एक सांसद ने कहा कि निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन भले ही निराशाजनक रहा हो पर यूपी में बीएसपी के 13% वोट शेयर के बिना विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं है.