छत्तीसगढ़ में अब तक किडनी की बीमारी से मौतों के कारण सुर्खियों में रहा गरियाबंद जिले का सुपेबेड़ा गांव इस बार किसी और वजह से सुर्खियों में आया है. दरअसल, अब तक हुई मौत के बाद उनके उत्तराधिकारियों को मिलने वाले मुआवजे में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. मुआवजे से वंचित एक महिला ने खुद को मुआवजे का हकदार बताते हुए इस पूरे मामले का खुलासा किया है.
सुपेबेड़ा की सुमति बाई का आरोप है कि वो अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी. ऐसे में उनके मां-बाप की मौत के बाद शासन से मिलने वाले मुआवजे की हकदार वो अकेली हैं, लेकिन गांव के कुछ लोगों ने मुआवजा राशि की लिस्ट से उसका नाम हटवाकर उसके चाचा का नाम लिस्ट में डाल दिया है. महिला का कहना है कि इससे पहले मुआवजे के तौर पर उसे 20 हजार मिल चुके हैं, लेकिन जब 50 हजार रुपए दोबारा जारी हुए, तो गांव के लोगों ने लिस्ट से उसका नाम हटाकर उसके चाचा का नाम डाल दिया.
सुमति बाई ने बताया कि वो अकेली ऐसी पीड़ित नहीं हैं बल्कि उनके गांव के कई लोग ऐसे हैं जिनकी जगह किसी और के नाम मुआवजे की लिस्ट में जबरन डाल दिए गए हैं. हालांकि पंचायत सचिव भी सुमति की बात को स्वीकार कर रहे हैं. फिलहाल, सुमति ने कलेक्टर से लिखित शिकायत करते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है.
सुपेबेडा में किडनी की बीमारी से अब तक कितनी मौतें हो चुकी हैं, इसका सही जवाब न तो सरकार के पास है और ना ही ग्रामीणों के पास मौजूद है. स्वास्थ्य विभाग 65 लोगों की मौत किडनी की बीमारी से होने की बात स्वीकार कर रहा है जबकि ग्रामीण 96 लोगों की मौत होना बता रहे हैं. सरकार ने ग्रामीणों की बात मानते हुए सभी 96 मृत परिवारों को पहले 20-20 हजार मुआवजा दिया और अब 50 हजार प्रति परिवार मुआवजा दे रही है. किडनी की बीमारी से हुई मौत की संख्या और मुआवजे को लेकर उत्पन्न हुए विवाद के बाद जिला कलेक्टर ने पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.