Home News ‘प्रयागराज ट्रिपल मर्डर में बेटे की मौजूदगी अतीक को ‘ऑक्सीजन’ देने जैसा’…

‘प्रयागराज ट्रिपल मर्डर में बेटे की मौजूदगी अतीक को ‘ऑक्सीजन’ देने जैसा’…

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यूपी के प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को अंजाम दिए गए उमेश पाल ट्रिपल मर्डर की जांच जारी है. कुछ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. जबकि उस खूनी कांड में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वालों में से योगी की खाकी ने, दो शूटर्स को एनकाउंटर में ठिकाने लगा दिया है.

अब तक इस कहानी में गैंगवार, यूपी के तत्कालीन विधायक राजू पाल हत्याकांड और उमेश पाल की, माफिया अतीक अहमद के साथ नाराजगी. यही कुछ बातें थीं जिनकी चर्चा हो रही थी. इस खूनी बवाल को लेकर विशेष बात की, उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक खुफिया (IG Intelligence) और पूर्व आईपीएस अधिकारी आरके चतुर्वेदी से. आरके चतुर्वेदी खुद भी बहैसियत किसी जमाने में इलाहाबाद जोन के पुलिस महानिरीक्षक रह चुके हैं.

सन् 1990 के दशक में खालिस्तानी खाड़कूओं के पीछे हाथ धोकर पड़ने वाले आरके चतुर्वेदी, उस अतीक अहमद की भी नस-नस से वाकिफ हैं जिसे, आज गुंडों और गुंडई की दुनिया में माफिया कहा जाता है. अतीक को सताने लगा था वर्चस्व खत्म होने का डर, 3 बार रिहर्सल कर उमेश को लगाया ठिकाने चकिया मोहल्ले से प्यार करता है अतीक एक सवाल के जवाब में 1998 बैच यूपी कैडर के दबंग पूर्व आईपीएस आर के चतुर्वेदी बोले, “अतीक अहमद बीते कल के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज में स्थित चकिया मोहल्ले को बाप की खैरात समझता था और समझता है. जैसे कोई इंसान जिंदगी के वास्ते अपनी सांसों से प्यार करता है. उसी तरह से माफिया गली का गुंडा अतीक अहमद चकिया मोहल्ले से प्यार करता है.

क्योंकि इस चकिया मोहल्ले के गली-कूचों से निकल कर ही तो, कल का सड़क छाप गुंडा अतीक अहमद आज राज्य की हुकूमतों का सिरदर्द बना है. अतीक और चकिया एक दूसरे के पर्यावाची उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के दौरान मैंने जितना करीब से इस माफिया को जाना उसके मुताबिक, अतीक अहमद चकिया मोहल्ला और वहां के कुछ स्थानीय बाशिंदों के बिना ‘जीरो’ है. आज के माहौल की बात करूं तो अतीक अहमद और चकिया मोहल्ला, दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची या पूरक बन चुके हैं.” उमेश हत्याकांड: ढाई लाख के इनामी शूटर साबिर के भाई का शव बरामद, जमानत पर आया था बाहर जेल और पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध? आप यूपी पुलिस सेवा और आईपीएस बनने से पहले, कई साल तक यूपी जेल सर्विस की नौकरी (1980 के दशक में) कर चुके हैं.

जेल और पुलिस दोनो की सेवा के अनुभव से क्या आप मानते हैं कि, “चकिया मोहल्ले की गली के गुंडे को माफिया डॉन बना डालने में जेल और पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध रही है?” पूछने पर यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस और इलाहाबाद के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक राम किशन चतुर्वेदी बोले, “हां, यह बिलकुल सत्य है. जेल से खौफ नहीं खाते अतीक-मुख्तार कानपुर का बिकरू कांड और हाल ही में जेल के भीतर चल रहे खेल में शामिल मिला माफिया, मुख्तार अंसारी के जेल में बंद बेटा-बहू, जेल अधिकारियों की काली करतूतों का कॉकटेल इसका सबसे ताजा और सबसे बुरा नमूना है. दरअसल अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी से माफिया इसीलिए जेल से खौफ नहीं खाते हैं क्योंकि, वे जानते हैं कि उन्हें सलाखों के भीतर भी साम दाम दंड भेद की वैसाखियों के बलबूते पनाह मिल ही जाएगी.” उमेश पाल हत्याकांड: मुख्तार के बाद अब जफर के घरों को गिराने की तैयारी, कभी भी चल सकता है बुलडोजर हर जगह रहती है पॉलिटिकल सेटिंग एक सवाल के जवाब में वे कहते हैं, “पुलिस और जेल ही क्यों? अतीक अहमद हो या फिर मुख्तार अंसारी.

यह सब मवाली-गुंडे नेता चाहे किसी पार्टी से बने हों या फिर निर्दलीय. इनकी पॉलिटिकल सेटिंग हर जगह रहती है. जहां तक इनकी जेल में सेटिंग की बात है, तो जेल अफसर कर्मचारी क्या करें, जिनकी अपनी सुरक्षा तक का पुख्ता इंतजाम कोई नहीं है. जो मुख्तार-अतीक से बदमाश, सूबे की पुलिस और सल्तनत से काबू न आ रहे हों, तो फिर ऐसे में भला इन बदमाशों के संग 24 घंटे 32 दांतों के बीच जीभ से रहने वाला जेल स्टाफ इनका क्या कर-बिगाड़ लेगा?

जेल की इस कमजोर नस को इन बदमाशों ने अच्छे से दबा-पकड़ रखा है. जेल में तो इन अपराधियों की धूम इसलिए भी मची रहती है क्योंकि यह जानते हैं कि, सुरक्षा के नाम पर जेल अफसर-कर्मचारियों का कोई माई-बाप तो होता ही नहीं है.” अतीक अहमद का बहुत खतरनाक गेम-प्लान जिस तरह से 24 फरवरी 2023 को सर-ए-शाम अतीक अहमद के शूटर बेटे ने, खुले चेहरे में अपने गुर्गों के साथ गोलीबारी करके, यूपी पुलिस के दो रणबांकुरे सिपाहियों और अपने दुश्मन उमेश पाल को भून डाला, क्या यह खून-खराबा यूपी पुलिस और वहां की हुकूमत के माथे पर काला दाग नहीं है? पूछे जाने पर आरके चतुर्वेदी बोले, “मीडिया इस घटना की तहत तक पहुंच ही नहीं पा रहा है. दरअसल यह तिहरा हत्याकांड भर नहीं है.

इसके पीछे अतीक अहमद का बहुत खतरनाक गेम-प्लान है. उमेश पाल हत्याकांड: उसे मारने के लिए अकेला ही काफी उस्मान ने अतीक से किया था वादा प्रयागराज खूनी कांड सिर्फ ट्रिपल मर्डर नहीं अपने करीब 38-40 साल के पुलिस महकमे और जेल की नौकरी के निजी अनुभव से तो मैं कह ही सकता हूं कि, प्रयागराज का उमेश पाल तिहरा खूनी कांड सिर्फ ट्रिपल मर्डर भर नहीं है. यह मेरी निजी राय है. मेरे हिसाब से तो अब जिस तरह से यूपी में मौजूदा योगी आदित्यनाथ की हुकूमत, गुंडों-माफियाओं के पीछे हाथ धोकर पड़ी है.

ऐसे खतरनाक दौर ने, जेल में बंद पड़े मुख्तार और अतीक से माफियाओं को मरणासन्न हालत में ला दिया है. वे दोनो बौखलाहट में समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर करें तो क्या करें जो उनके हित में हो. इसीलिए ऊट-पटांग काम कर रहे हैं. और बजाए बचने के कानून व सरकारी मशीनरी के शिकंजे से बचने की कोशिश में और फंसते ही जा रहे हैं.” गुंडई कैसे कायम रह सकेगी?

यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस चतुर्वेदी आगे बोले, “दरअसल, अतीक और मुख्तार अंसारी जेल में पड़े-पड़े ऊब चुके हैं. जेल से बाहर आने का इन्हें कोई सुरक्षित कानूनी रास्ता नजर नहीं आ रहा है. कोर्ट-जज भी इनकी बदमाशियां जान-समझ चुके हैं. लिहाजा वहां से भी अब सपोर्ट मिलने की कोई उम्मीद बाकी नहीं बची है.

ऐसे में सलाखों के भीतर गुंडागर्दी के इन नमूनों को, चिंता बाहर मौजूद अपराध की दुनिया में अपना-अपना अस्तित्व बचाए रखने की है. इन्हें चिंता इस बात की है कि अगर, यह खुद इसी तरह से जेल के पिंजड़ों में शांत पड़े रहे, तो वो दिन दूर नहीं जब इनके पाले हुए और जेल से बाहर भटक रहे गुंडे दाने-दाने को मोहताज हो जाएं!? जेल में ठोक दिए जाने का डर? इन्हें चिंता अपनी जान-माल की सुरक्षा के साथ-साथ अपराध जगत में अपनी बादशाहत बरकरार रखने की भी है.

लिहाजा ऐसे में और तो कुछ यह कर नहीं सकते हैं. तो फिर प्रयागराज से उमेश पाल तिहरे हत्याकाडों को जेल के भीतर से बैठे बैठे ही, अंजाम दिलवाने में भला इनका क्या बिगड़ रहा है? एक नए मुकदमे में अगर नामजद हो भी जाएंगे तो, कौन सा इन्हें अपनी दुबारा गिरफ्तारी और फिर जेल में ठूंस दिए जाने का डर है? जेल में तो वे पहले ही बंद पड़े हैं.

Bahubali: पिता चलाते थे तांगा, 17 साल में पहला मर्डर, फिर चल पड़ा अतीक अहमद के गुनाहों का कारोबार बादशाहत को बरकरार रखने की चिंता एक सवाल के जवाब में रिटायर्ड आईपीएस राम किशन चतुर्वेदी कहते हैं, “दरअसल जिस स्टाइल से 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में उमेश पाल ट्रिपल मर्डर अंजाम दिया है. उस कांड में जिस तरह से बेखौफ होकर अतीक अहमद के शूटर बेटे के हिस्सा लेने की खबरें मैंने मीडिया में देखी, सुनी पढ़ी हैं, उससे तो साफ है कि अब जेल में बंद अतीक अहमद को, बाहर बर्बाद होती अपनी बादशाहत को बरकरार रखने की चिंता लम्हा-लम्हा दीमक की मानिंद खाए जा रही है. यही वजह रही होगी कि, कोई रास्ता नजर न आता देख उसने जेल में बैठे-बैठे ही, उमेश पाल तिहरे हत्याकांड की बागडोर अपने बदमाश बेटे के हाथों में जान-बूझकर थमा दी हो. वो भी उस तिहरे कांड में (मौके पर) उसे चेहरा ढके बिना ही भेजने की हिमाकत-हिम्मत करके. ताकि दुश्मनों को और सूबे की सल्तनत को पता चल सके कि, जेल में बंद अतीक अहमद अभी कमजोर नहीं हुआ है.

उसके गुंडे बदमाशी चमकाने के लिए आज भी किसी भी हद को पार करने की कुव्वत रखते हैं. वर्चस्व की टूटती सांसों को ऑक्सीजन 23 फरवरी 2023 को प्रयागराज में अंजाम दिए गए उमेश पाल ट्रिपल मर्डर ने साबित कर दिया है कि, जेल में अतीक अहदम बंद है. बाहर उसकी बदमाश अभी भी ‘फुल’ है. वरना, अतीत में इसी माफिया अतीक अहमद के लड़के (शूटर) हमेशा अपने ढके चेहरे में ही आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के रास्ते तलाशते रहते हैं.

ताकि सीधे-सीधे मुकदमेबाजी और थाने चौकी कोर्ट कचहरी का कोई चक्कर ही इनके खिलाफ शुरु न हो सके. यह पहला मौका है जब अतीक के बिगड़ैल लड़के को ही उमेश पाल ट्रिपल मर्डर में, खुले चेहरे के साथ हाथ में हथियार लेकर गोलियां दागने की खबरें उजागर हुई हैं. मेरी निजी राय में तो यह अतीक ने अपने वर्चस्व की टूटती सांसों को, ऑक्सीजन देने के लिए ही किया है. यह मेरी निजी राय है! ”