किसान इस मौके पर हल की पूजा करते हैं और लोगों की नजरों से घर और पूरे परिवार को बचाए रखने दरवाजे पर नीम की पत्ती भी टांगते हैं। इस त्यौहार में छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति के सारे रंग दिखते हैं।
आज के दिन पूजा-पाठ के बाद बच्चे बांस की बनी गेड़ी पर चढ़ते हैं। कीचड़ भरे रास्ते में गेड़ी चढ़ने का अलग ही मजा है। इसी वजह से हरेली को गांवों में गेड़ी तिहार भी कहते हैं।