Home Government Scheme शांति अहिंसा और बालिकाओं के अधिकार की प्रतिज्ञा के साथ संपन्न हुआ...

शांति अहिंसा और बालिकाओं के अधिकार की प्रतिज्ञा के साथ संपन्न हुआ राष्ट्रीय युवा शांति शिविर

27
0

राजसमंद। युवसत्ता-एनजीओ, अनुव्रत विश्व भारती सोसायटी, ग्लोबल पीस फाउंडेशन और भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय युवा शांति शिविर का रविवार को समापन हुआ। शिविर में युवाओं ने शांति अहिंसा और बालिकाओं के अधिकार की प्रतिज्ञा के साथ स्वंयसेवा की प्रतिज्ञा भी ग्रहण की।जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी अपने लक्ष्य को ऊँचा रखें, भविष्य के लिए बड़े सपने देखें और भारत को मजबूत और विश्व शक्ति बनाने के लिए काम में जुट जाएं। तभी आज का युवा अपने आपको रोल मॉडल के रूप में पेश कर पाएगा।

युवसत्ता (यूथ फॉर पीस) चंडीगढ़ के फाउंडर प्रमोद शर्मा ने कहा कि एक छोटे से गांव से बालिकाओं के लिए समर्पण, त्याग, सत्य, अहिंसा का संदेश देश विदेश को मिल रहा है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हम सभी को पद्मश्री श्याम सुंदर के जीवन और कार्यों से सीखने के लिए बहुत कुछ मिलता है। जैसा कि राजस्थान के राजसमंद जिले से 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री गांव में है। एक समय तक जो जिस गांव की पहचान कभी संगमरमर के कारण बंजर हुई भूमि व समस्याओं के रूप में थी आज इसी गावं की पहचान बालिकाओं व हरे पेड़ों को समर्पित हो चुकी है। आज गांव को निर्मल ग्राम, आदर्श गावं और स्वजल ग्राम के साथ बालिकाओं व हरे पेड़ों के संरक्षण के अनूठे मॉडल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

उन्होने बताया कि आज गावं में जब भी बालिका जन्म लेती है तो उस पर 111 पेड़ लगाते हैं और लड़की के माता-पिता के साथ ग्रामीणों के सहयोग से 31,000 रुपए की राशि जमा कराई जाती है। गाँव में अब 350,000 से अधिक पेड़ हैं, विभिन्न स्वदेशी किस्मों के साथ, जो पर्यावरण और जलवायु के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।श्री शर्मा ने बताया कि राजस्थान, दिल्ली, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के छह अलग-अलग राज्यों के 100 से अधिक भाग लेने वाले युवाओं ने अपने समुदायों के बीच शांति (शांति), अहिंसा (अहिंसा), लड़कियों के अधिकार और स्वयंसेवा (सेवा) को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।

राष्ट्रीय युवा शांति शिविर में आए युवाओं की और से पिपलांत्री गांव की विजिट के दौरान सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने
अपनी कहानी साझा करते हुए कहा कि अपनी बेटी की मृत्यु के बाद दुखी होकर, उन्होंने पिपलांत्री गांव के सरपंच के रूप में घोषणा की कि हर नवजात लड़की के सम्मान में एक पेड़ लगाया जाएगा। इस प्रक्रिया में, उन्होंने सांस्कृतिक, पर्यावरण और राजनीतिक क्रांति के बीज बोए।