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Utpanna Ekadashi : उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने वालों के मिट जाते हैं पिछले जन्मों के पाप, व्रत पूजा व पारण विधि

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रविवार 20 नवंबर को भक्त रखेंगे एकादशी का व्रत,एकादशी का व्रत सभी व्रतों में विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से वर्तमान के साथ पिछले जन्म के पाप भी मिट जाते हैं। पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बिलासपुर। देव पंचांग के अनुसार इस साल 20 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी पड़ेगा। भक्त इस दिन व्रत रख सकेंगे। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने वालों के पिछले जन्म के सभी पाप मिट जाते हैं। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करने की परंपरा है। मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी व्रतों में विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से वर्तमान के साथ पिछले जन्म के पाप भी मिट जाते हैं। पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग एकादशी का व्रत शुरू करना चाहते हैं वह मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से इसकी शुरुआत कर सकते हैं क्योंकि शास्त्रों में इसे ही पहली एकादशी माना गया है। राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि आज ही के दिन एकादशी देवी की उत्पत्ति हुई थी। उत्पन्ना एकादशी व्रत में पूजा के बाद कथा जरूर पढ़ना चाहिए जिसके बाद ही वृत्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता हैं।
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दुसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।
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