कोविड की दूसरी लहर (second wave of covid) के दौरान पश्चिम बंगाल चुनाव (west bengal election) में चुनाव आयोग (Election commission) ने आखिरी वक्त में सभी रोड शो पर रोक लगा दी थी. साथ ही बड़ी चुनावी सभाओं पर रोक लगा दी गई थी. ऐसे में पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर आयोग अभी से समीक्षा कर रहे हैं. उदाहरण के लिए 9 से 22 अप्रैल के बीच, चुनाव आयोग ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन ना किया जाने की दशा में रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में ‘सख्त चेतावनी’ जारी की थी. जब आयोग ने पश्चिम बंगाल चुनावों के अंतिम दो चरणों के लिए चेतावनी जारी किया तब राज्य में तीन गुना बढ़कर 69,000 हो गई थी. टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से दोगुने से अधिक 22 प्रतिशत से अधिक हो गई और रोजाना पाए जाने वाले मामले तीन गुना बढ़कर 3,600 के करीब 12,000 हो गए.
उस वक्त चुनाव आयोग ने कुछ प्रतिबंध लगाने से पहले कहा था कि ‘कई राजनीतिक दल / उम्मीदवार सार्वजनिक समारोहों के दौरान निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं’.’ पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान कोविड के तीन उम्मीदवारों की मौत हो गई थी.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly elections in five states) से पहले आयोग पुराने कड़वे अनुभनों ध्यान में रख रहा है. जिन पांच राज्यों में चुनाव होना है उसमें उत्तर प्रदेश भी जहां भाजपा और समाजवादी पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर चुनावी रैलियां और यात्राएं हो रही हैं. इन सभी रैलियों में भारी भीड़ आ रही है. यह पक्का है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव टलेंगे नहीं और वह फरवरी-मार्च में नियत है. हालांकि इसी दौरान ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले भी बढ़ सकते हैं.
सबसे पहले आइए जानते हैं कि राज्यों ने अब तक क्या-क्या फैसले किए हैं! कई राज्यों ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है. दिल्ली में मंगलवार को ‘सॉफ्ट लॉकडाउन’ लाया गया और पंजाब में टीकाकरण नहीं करने वालों के सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया.