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छत्तीसगढ़ में नजर आदिवासियों पर, लेकिन 47% ओबीसी तय करते हैं चुनावी खेल

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रायपुर. चुनाव के मुहाने पर खड़े छत्तीसगढ़ में राजनीतिक सरगर्मी तेज होने लगी है. एक तरफ कांग्रेस 15 वर्षों का वनवास खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. दूसरी तरफ सत्तारुढ़ भाजपा हर हाल में चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में है.

दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनावी गणित का पूरा तानाबाना अनुसूचित जनजाति (एसटी) को वोटरों के ईर्दगिर्द बुना जा रहा है. माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चॉबी एसटी वर्ग के पास ही है. इसी वजह से दोनों प्रमुख दलों ने दो दर्जन से अधिक सीटों को प्रभावित करने की ताकत रखने वाले पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को फिलहाल नजरअंदाज कर रखा है.

बस्तर- सरगुजा की परिक्रमा

एसटी वर्ग की सर्वाधिक आबादी व आरक्षित सीटें बस्तर व सरगुजा संभाग में है. यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस का पूरा संगठन इन दोनों संभागों की बार- बार परिक्रमा कर रहा है. प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत कई केंद्रीय नेता व मंत्री बस्तर व सरगुजा का दौरा कर चुके हैं. कांग्रेस के प्रदेश संगठन से जुड़े राष्ट्रीय नेता भी इन्हीं दोनों संभागों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं.

पिछले चुनाव में ओबीसी ने दिया भाजपा का साथ

ओबीसी नेताओं का दावा है कि 2013 में ओबीसी वर्ग के दम पर ही भाजपा की सरकार बन पाई. इस वर्ग के एक बड़े सामाजिक नेता ने कहा कि पिछले चुनाव में जब आदिवासियों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था, तब मैदानी क्षेत्रों से ओबीसी ने ही भाजपा को गद्दी तक पहुंचाया.

एसटी ने दो बार दी भाजपा को गद्दी

छत्तीसगढ़ में अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं. 2003 के पहले और 2008 के दूसरे चुनाव में एसटी वर्ग ने ही भाजपा को सत्ता सुख दिया. 2003 में 34 में से 25 सीटें भाजपा के खाते में गईं, जबकि 2008 में 29 में से 19 सीटें भाजपा को मिलीं. लेकिन 2013 के चुनाव में इस वर्ग ने पाला बदल लिया. इससे 18 सीटें सीधे कांग्रेस के खाते में चली गईं.

दोनों प्रमुख दलों के अध्यक्ष ओबीसी

प्रदेश में दोनों प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की कमान ओबीसी वर्ग के हाथों में है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल इसी वर्ग से आते हैं. दोनों ही कुर्मी समाज से आते हैं.

ओबीसी आबादी को लेकर अलग अलग दावे

प्रदेश में ओबीसी की आबादी और उसके अंदर अलग-अलग जातियों की आबादी को लेकर काफी विवाद है. ओबीसी की आबादी 47 फीसद मानी जाती है, लेकिन यह वर्ग 52 फीसद का दावा करता है. इसी तरह इसमें शामिल 95 से अधिक जातियों के दावे भी अलग- अलग हैं. ओबीसी में भी साहू की आबादी 11 से 12 फीसद के बीच है. यादव आठ से नौ फीसद, मरार, निषाद व कुर्मी की आबादी करीब चार से पांच फीसद अनुमानित है.

अनुसूचित जनजाति

राज्य की आबादी का 32 फीसद हिस्सा अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग का है. इसमें करीब 42 जातियां शामिल हैं. एसटी वर्ग का सर्वाधिक प्रभाव बस्तर, सरगुजा व रायगढ़ क्षेत्र में हैं. क्षेत्रों में भी इनकी आबादी 10 फीसद से कम नहीं है. राज्य की 29 विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन करीब 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एसटी की आबादी 50 फीसद से अधिक है.

अनुसूचित जाति

राज्य की आबादी का 12.81 फीसद हिस्सा अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग है. इस वर्ग के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं. लेकिन करीब आठ से दस सामान्य सीटों पर भी इनका प्रभाव अच्छा है.

पिछड़ा वर्ग

छत्तीसगढ़ में ओबीसी में 95 से अधिक जातियां शामिल हैं. आबादी में इनका हिस्सा 47 फीसद है, लेकिन दावा 52 फीसद से अधिक का किया जाता है. 49 सामान्य सीटों में से ज्यादातर में विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों में इनका प्रभाव अधिक है.

विधानसभा सीटों का आरक्षण

वर्ष 2003 2008 2013

सामान्य 46 51 51

अनुसूचित जनजाति 34 29 29

अनुसूचित जाति 10 10 10

आरक्षित सीटें किसके खाते में

वर्ष 2003 2008 2013

वर्ग एसटी एससी एसटी एससी एसटी एससी

भाजपा 25 04 19 05 11 09

कांग्रेस 09 04 10 04 18 01

00 02 00 01 00 00

राज्य की धार्मिक जगनणना (% में )

हिन्दू 93.25

मुस्लिम 2.02

क्रिश्चन 1.92

सिक्ख 0.27

बौद्ध 0.28

जैन 0.24

1.94

अवर्णित 0.09

जनसंख्या वर्गवार

वर्ग प्रतिशत

एसटी 32

एससी 13

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