दंतेवाड़ा। न जाने कब, किस करवट बदल जाए जिंदगी और फर्श से उठकर वह पहुंच जाए अर्श पर। बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा के तीन वर्षीय दिव्यांग आकाश के साथ यही होने जा रहा है। दिव्यांग व अनाथ बच्चों का पालन-पोषण करने वाली संस्था बस्तर सामाजिक जन विकास समिति के पालना घर में तीन साल से रह रहे आकाश को अब एक अमेरिकी दंपती गोद ले रहा है।
सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। प्यार-दुलार से महरूम यह बालक जल्द ही बर्ट दंपती की गोद में खेलेगा। नक्सल घटनाओं के लिए देश-दुनिया में चर्चित बस्तर से इस तरह की अच्छी खबरें कम ही आती हैं।
चार्ल्स का त्याग, चंद्रा की मानवता
मूलतः कोलकाता निवासी चंद्रा नर्स हैं। उन्हें भी एक अमेरिकी दंपती ने गोद लिया था। अमेरिका के ऑटोमोबाइल इंजीनियर चार्ल्स बर्ट से उनका विवाह हुआ। शुरू से ही दोनों ने तय कर रखा था कि वे अपनी संतान को जन्म देने के बजाए दो दिव्यांग भारतीय बच्चों को गोद लेंगे। इनमें एक बालिका तो दूसरा बालक होगा।
2016 में इस दंपती ने मुंबई से एक बालिका कामा को गोद लिया। इसके बाद इस दंपती ने बालक के लिए आवेदन लगाया था। इस कदम से चंद्रा ने जहां मानवता को और ऊंचा किया वहीं चार्ल्स ने भी त्याग का बड़ा उदाहरण पेश किया है।
कामा को मिला छोटा भाई तो आकाश को दीदी
करीब पखवाड़े भर पहले यह दंपती दंतेवाड़ा आया था, साथ में बिटिया कामा भी थी। तीनों आकाश से मिले। चंद्रा ने जहां मातृत्व उड़ेला वहीं चार्ल्स ने पिता के समर्थ हाथों का अहसास कराया। आकाश के रूप में छोटा भाई मिल जाने से पांच वर्षीय कामा बेहद उत्साहित थी वहीं आकाश भी दीदी पाकर बहुत खुश था।
इस दौरान बर्ट दंपती बच्चों लेकर मां दंतेश्वरी के दर्शन करने भी गए। कामा को कम सुनाई देता है, वहीं आकाश के हाथ-पैर की अंगुलियां चिपकी सी हैं लेकिन बर्ट दंपती के लिए ये चीजें मायने नहीं रखतीं।