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सरकार ने कहा- वैक्सीन निर्माताओं को निजी अस्पतालों के लिए 25% कोटा रखना जरूरी नहीं

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 केंद्र सरकार ने टीकाकरण की मौजूदा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए हैं. सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं (Vaccine Manufacturers) से कहा है कि उन्हें निजी अस्पतालों के लिए 25% स्टॉक रखने की जरूरत नहीं है. साथ ही कहा गया है कि निर्माता उतनी वैक्सीन बेच सकते हैं, जितना निजी क्षेत्र खरीद सके. जबकि, बचा हुआ स्टॉक सरकार को दें. बीती 28 जुलाई को पहली बार न्यूज18 ने ही यह खबर दी थी कि सरकार निजी क्षेत्र की तरफ से मिल रही कमजोर प्रतिक्रिया के चलते 25% हिस्सेदारी में कटौती की योजना बना रही है. न्यूज18 ने बताया था कि निजी अस्पताल आवंटित 25% टीकों को खरीद नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण की रफ्तार प्रभावित हो रही है.

मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद को मौखिक रूप से बताया कि निर्माताओं को प्राइवेट कोटे के तहत 25% वैक्सीन देना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमने एक महीने में देखा कि निजी क्षेत्र में 25% टीकों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. केवल 7-9% का ही उपयोग हो पा रहा है. ऐसे में हमने फैसला किया है कि जिन टीकों का इस्तेमाल निजी अस्पतालों में नहीं हो पा रहा है, उन्हें सरकारी कोटा में दिया जाए. सरकार ने भी कंपनियों को यह कह दिया है कि प्राइवेट कोटा में 25% टीके देना जरूरी नहीं है. निजी अस्पतालों को उतने टीके दिए जाएं, जितना वे खरीद पा रहे हैं, बाकि उनकी आपूर्ति सरकार लेगी.’

राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री से इसके संबंध में सवाल पूछा गया था. सवाल था कि क्या सरकार निजी अस्पतालों के लिए 25% वैक्सीन कोटा कम करने पर विचार कर रही है, क्योंकि वे इसके इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है. साथ ही क्या बचा हुआ कोटा राज्य सरकारों को दिया जा सकता है.

वहीं, निजी टीकाकरण केंद्रों पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन क्रमश: 780 रुपये और 1410 रुपये में मिल रही है. ऐसे में निजी अस्पतालों में पहुंचने वालों की संख्या कम हुई है. 21 जून के बाद से ही संशोधित दिशानिर्देशों के बाद निजी अस्पताल प्रति डोज 150 रुपये फीस ले रहे हैं. यह भी उनके निराश होने का एक बड़ा कारण है.

निजी क्षेत्र देश में तैयार होने वाला वैक्सीन का 25% स्टॉक ले नहीं पा रहा है, जिसके तहत उन्हें केंद्र की तरफ से कोविशील्ड और कोवैक्सीन के लिए चुकाए जा रहे क्रमश: 205 रुपये और 215 रुपये की तुलना में ज्यादा ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ता है. कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से कहा है कि 75 फीसदी का कोटा बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि राज्यों के पास लोगों को टीका लगाने की क्षमता ज्यादा है, लेकिन उन्हें सीमित डोज ही प्राप्त हो रहे हैं. जबकि, निजी अस्पताल अपना 25 फीसदी कोटा भी नहीं ले पा रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण कार्यक्रम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है. वैक्सीन निर्माता इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि उनके पास वैक्सीन का स्टॉक बढ़ता जा रहा है, क्योंकि 25% कोटा के तौर पर निजी क्षेत्र उसे हासिल नहीं कर रहे हैं.पिछले महीने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने CII के एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘आप सभी (निजी क्षेत्र वालों) ने निजी क्षेत्र के लिए टीकाकरण शुरू करने की मांग की थी. आज आप उन 25 फीसदी (आवंटित) वैक्सीन को खरीद भी नहीं रहे हैं.’