आइ प्रवीर द आदिवासी गॉड’ नाम की किताब लिखने वाले छत्तीसगढ़ में बस्तर के चर्चित महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव के वंशज अब संपत्ति के टकराव में सड़क पर उतर आए हैं. मामला जगदलपुर में बने विजय भवन से संबंधित है. बस्तर राजमहल के वर्तमान मुखिया औरराज्य युवा आयोग के अध्यक्ष कमलचंद्र भंजदेव पर उनके चाचा व चचेरे भाइयों ने संपत्ति हथियाने के लिए पद का दुरुपयोग करने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
अलबत्ता, कमलचंद्र का कहना है कि मैंने कुछ नहीं किया. विजय भवन का मामला चालीस वर्ष से न्यायालय में लंबित है. न्यायालय की प्रक्रिया के तहत जो हो रहा है उसमें मैं क्या कर सकता हूं. इस प्रकरण में दिलीपचंद्र भंजदेव भी अब विजय भवन पर दावेदारी कर रहे हैं . कमलचंद्र यह भी कह रहे हैं कि दिलीप कौन हैं, उन्हें मैं जानता तक नहीं, जबकि दिलीप का कहना है कि वह राजपरिवार के ज्येष्ठ पुत्र हैं . चाहें तो डीएनए टेस्ट करा लें .
कमल का पहले से अपने चाचा हरिहरचंद्र भंजदेव व उनके पुत्र मोहितचंद्र भंजदेव से टकराव चल रहा है . अब इस लड़ाई में हरिहरचंद्र के साथ दिलीप के जुड़ जाने से मामला व रोचक हो गया है . दिलीप का कहना है कि वे विजय भवन में ही पले बढ़े हैं . उनके स्कूल के दस्तावेजों में उनके पिता का नाम भरतचंद्र भंजदेव लिखा है व पता है विजय भवन जगदलपुर .
यह है टकराव की वजह
आजादी के समय प्रवीरचंद्र भंजदेव बस्तर के महाराजा रहे . 1948 से 1961 तक वह बस्तर स्टेट के प्रशासक रहे . 1961 में उन्होंने हिंदुस्तान गवर्नमेंट से बगावत कर दी . लड़ाई में प्रवीर मारे गए तो गवर्नमेंट ने उनके भाई विजयचंद्र भंजदेव को राजा नियुक्त कर दिया . 12 फरवरी 1961 से 11 जुलाई 1970 तक विजय बस्तर स्टेट के प्रशासक रहे . उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र भरतचंद्र भंजदेव 18 सितंबर 1996 तक प्रशासक रहे . भरत के पुत्र कमल वर्तमान उत्तराधिकारी हैं . भरत के दो भाइयों में से एक देवेश की मृत्यु हो चुकी है व दूसरे भाई हरिहर व उनके पुत्र मोहित आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें राजपरिवार में प्रताड़ि किया जा रहा है व महल से बेदखल करने की प्रयास की जा रही है .
पिछले सोमवार को राजस्व कोर्ट ने विजय भवन को सील कर प्रशासनिक रिसीवर नियुक्त करने का आदेश जारी किया . आनन-फानन में नायब तहसीलदार ने विजय भवन व उसके भीतर बने दिलीपचंद्र भंजदेव के घर को सील कर दिया . जब घर सील किया गया तो दिलीप की पत्नी व बच्चे घर के भीतर थे . मामले ने तूल पकड़ा तो प्रशासन ने सील खोल दी . अब विजय भवन में सील नहीं लगा है व दिलीप का कब्जा बरकरार है . हरिहर के पुत्र मोहित उसी भवन में अपना दफ्तर चलाते हैं . इस कार्रवाई के विरोध में हरिहर व मोहित भी सामने आ गए . दोनों दिलीप को राजपरिवार का बता रहे हैं .