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पत्थलगड़ी समर्थक और पुलिस में ¨हसक झड़प

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सांसद के अगवा सुरक्षाकर्मियों के रिहाई को लेकर देर रात तक रही ऊहापोह -पुलिस ने रबर बुलेट, अश्रु गैस के गोले चलाए, 100 से अधिक पत्थलगड़ी समर्थक को हिरासत में लिया, अधिकांश पीआर बांड पर छोड़ा

– झड़प में दो दर्जन ग्रामीण और कई पुलिसकर्मी हुए चोटिल

– 24 घंटे से अपहृत जवानों की तलाश में जुटी है पुलिस

– खूंटी के डीसी-एसपी घटनास्थल पर पूरी रात से प्रातः काल तक डटे रहे

-रैफ, रैप, पहाड़िया बटालियन और जिला बल के सैकड़ों जवान जुटे हैं सर्च अभियान में

-अपहृत जवानों की तलाश में घाघरा के एक-एक घर की ली गई तलाशी

-बड़ी संख्या में मौके से पारंपरिक हथियार बरामद जागरण टीम, रांची/खूंटी : खूंटी में सांसद कड़िया मुंडा के आवास से मंगलवार को पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा तीन जवानों के अपहरण के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जवानों की तलाश में खूंटी के घाघरा गांव में अच्छा कार्रवाई की . हजारों की संख्या में जुटे पत्थलगड़ी समर्थकों पर अश्रु गैस के गोले दागे, रबर बुलेट चलाई . उधर, पत्थलगड़ी समर्थकों ने भी तीर-धनुष और पारंपरिक हथियार से पुलिस पर हमला किया . ¨हसक बन चुके पत्थलगड़ी समर्थकों पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी . जिसमें एक पत्थलगड़ी समर्थक की मौत हो गई . जबकि आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी और दो दर्जन पत्थलगड़ी समर्थक घायल हो गए . 100 से अधिकपत्थलगड़ी समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया, इनमें से अधिकांश को देर शाम पीआर बांड पर छोड़ दिया गया है . वहीं अपहृत जवानों के रिहाई को लेकर देर रात तक ऊहापोह की स्थिति रही . सांसद कड़िया मुंडा के बेटे ने जहां जवानों के पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा छोड़े जाने की बात कही, वहीं डीआइजी एवी होमकर और खूंटी एसपी ने रिहाई से इन्कार करते हुए इसे अफ़वाह बताया . उनका कहना था कि जब तक जवान आ नहीं जाते तब तक कुछ नहीं बोला जा सकता . जिन जवानों का अपहरण हुआ है, उनमें सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सियोन सोरेन शामिल हैं .

रातभर घाघरा जंगल में आमने-सामने डटे रहे पुलिस-पत्थलगड़ी समर्थक

पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा मंगलवार की शाम करीब चार बजे से ही अगवा किए गए तीनों जवानों की तलाश में खूंटी के उपायुक्त सूरज कुमार और एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा, रैपिड एक्शन पुलिस (रैप), पहाड़िया बटालियन और जिला पुलिस के महिला-पुरुष सिपाहियों के साथ घाघरा गांव पहुंच गए थे . गांव के बाहर ही सैकड़ों पत्थलगड़ी समर्थकों ने घेराबंदी कर रखी थी, जिसके कारण 100 मीटर पीछे ही पुलिस को रुकना पड़ा . पत्थलगड़ी समर्थक इस बात पर अड़े थे कि जब तक उनके लोगों को पुलिस नहीं छोड़ेगी, तब तक वे जवानों को मुक्त नहीं करेंगे . वे डीसी-एसपी सहित पांच प्रतिनिधिमंडल को समझौते के लिए बुला रहे थे, लेकिन पुलिस इस बात पर अड़ी हुई थी कि जब तक जवानों को नहीं छोड़ेंगे, तब तक वे किसी तरह की बात नहीं करेंगे . मंगलवार की रात से बुधवार की प्रातः काल करीब सात बजे तक पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थक आमने-सामने डटे रहे . दोनों के बीच करीब 100 मीटर का फासला था . रातभर खूंटी के डीसी, एसपी, एएसपी, एसडीपीओ आदि मौके पर ही जमे रहे . गांव की सड़क पर ही किसी तरह झपकी लेकर सोए . वहीं सैकड़ों जवान मोर्चा थामे रहे .

प्रातः काल होते ही रैफ के जवानों के साथ डीसी-एसपी ने की कार्रवाई

बुधवार की प्रातः काल करीब सात बजे सीआरपीएफ की रैपिड एक्शन फोर्स (रैप) की एक कंपनी मौके पर पहुंच गई . वहां पहले से ही रैप, पहाड़िया बटालियन और जिला बल के जवान मोर्चा संभाले हुए थे . घाघरा गांव को घेरने का प्लान तैयार था, क्योंकि दूसरी तरफ से रांची के ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग के नेतृत्व में सीआरपीएफ के जवानों ने तमाड़ के रास्ते से गांव को घेरने के लिए अपना घेरा मजबूत किया था . दूरभाष पर आपसी समन्वय मजबूत की . ग्राम सभा को बार-बार चेतावनी दी गई . इसके बावजूद ग्राम सभा नहीं माना तो पुलिस गांव में बुलंद इरादे के साथ घुस गई . ¨हसक पत्थलगड़ी समर्थकों पर अश्रु गैस के गोले दागने प्रारम्भ किए व लाठियां चटकाने लगे . इस दौरान पत्थलगड़ी समर्थकों ने भी तीर धनुष और पारंपरिक हथियार से पुलिस पर हमला किया . जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए . लेकिन इन सब के बावजूद पुलिस गांव में घुसती चली गई व जो हाथ लगा, सबको हिरासत में ले लिया . हालांकि, बाद में बुधवार देर शाम इनमें से अधिकांश को पीआर बांड पर छोड़ दिया गया . पुलिस के इस अभियान के दौरान एक ग्रामीण की मौत हो गई, जबकि दो दर्जन से अधिक ग्रामीण चोटिल भी हुए . मौके से भारी मात्रा में पारंपरिक हथियार भी पुलिस ने जब्त किया है .

जवानों की तलाश में एक-एक घर की ली तलाशी

पुलिस की धरपकड़ के बाद घाघरा गांव में सिर्फ महिलाएं और गिने-चुने पुरुष ही बचे थे, जिन्हें पुलिसवालों ने एक स्थान बैठाया . पूछताछ की . अपहृत जवानों का कोई अता-पता नहीं चला तो गांव के एक-एक घर की देर रात तक तलाशी ली गई . इसके बावजूद जवानों का कुछ पता नहीं चल सका

हिरासत में लिए गए पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपहृत तीनों जवानों के गांव के स्कूल में रखे जाने की जानकारी दी, लेकिन जवान वहां नहीं मिले . पुलिस की छानबीन में पता चला कि प्रातः काल तक पत्थलगड़ी नेताओं ने जवानों को घाघरा में ही रखा था, लेकिन उन्हें आभास हुआ कि पुलिस कठोर कदम उठा सकती है, सभी जवानों को गांव से कहीं अन्यत्र लेकर चले गए . वर्तमान में तीनों जवान कहां हैं, यह अब तक स्पष्ट नहीं है .

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