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भारत ने मेलबर्न में पूरी की थी दूसरी गोल्डन हैट्रिक, बंटवारे के बाद पहली बार पाकिस्तान को दी थी मात

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आज के समय में खेल चाहे जो भी हो जब भी भारत और पाकिस्तान (Pakistan) का सामना होता है वह अपने-आप ही हाईवोल्टेज बन जाता है. आजादी के बाद यह दोनों टीमें पहली बार 1956 में मेलबर्न (1956 Melbourne Olympic) में हुए ओलिंपिक खेलों में एक-दूसरे के सामने आई थीं, वह भी फाइनल मुकाबले में. यह हाईवोल्टेज मुकाबला भारत ने जीता और साथ ही लगातार छठा गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया.

1956 के इन खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड पर कब्जा किया वहीं दूसरे स्थान पर रहे पाकिस्तान (Pakistan) को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. जर्मनी ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. भारत को ग्रुप स्तर से फाइनल तक पहुंचाने के हीरो उधम सिंह रहे. टीम के कप्तान और स्टार खिलाड़ी बलबीर सिंह चोट के कारण ज्यादातर समय बेंच पर थे लेकिन टीम के प्रदर्शन पर इसका खास असर नहीं दिखा. 1956 ओलिंपिक खेलों में भारत ने कुल 38 गोल किए थे जिसमें से अकेले 15 गोल उधम सिंह ने किए थे. यह अभी तक ओलिंपिक में किसी भी भारतीय द्वारा किए गए सर्वाधिक गोलों का रिकॉर्ड है.

स्टार खिलाड़ी बलबीर सिंह थे टीम के कप्तान

भारत एक बार फिर ओलिंपिक में अपने चिर परिचित अंदाज में नजर आया जहां उसने अपने विरोधियों को गोल करने का मौका ही नहीं दिया. 1956 के ओलिंपिक के बाद बलबीर सिंह भारत के कप्तान थे जो कि तब तक स्टार बन चुके थे. भारत को छठा गोल्ड मेडल दिलाने में लेसली क्लॉडिस, रणधीर सिंह जेंटल और रंगानाथन फ़्रांसिस शामिल थे. इन सभी का यह तीसरा ओलिंपिक था. जबकि उधम सिंह, गोविंद पेरुमल और रघुबीर लाल का यह दूसरा ओलिंपिक था. इस गोल्ड मेडलिस्ट टीम में शंकर लक्ष्मण, गुरुदेव सिंह कुल्लर और हरिपाल कौशिक जैसे कुछ युवा खिलाड़ी भी शामिल थे जिनका ये पहला ओलिंपिक था.

अफगानिस्तान के खिलाफ मुकाबले में चोटिल हो गए थे बलबीर सिंह

मेलबर्न ओलिंपिक के हॉकी इवेंट में 12 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया था. 12 टीमों को तीन-तीन टीमों के चार ग्रुप में बांटा गया था. भारत ग्रुप ए में था जिसमें उनके साथ सिंगापुर, अफगानिस्तान और अमेरिका की टीम थी. भारत पूरे टूर्नामेंट में इकलौती टीम थी जिसने सभी मुकाबलों में जीत हासिल की. टीम का न तो कोई मैच ड्रॉ हुआ न ही वह कोई मैच हारी. सिंगापुर को 6-0, अफगानिस्तान को 14-0 से और अमेरिका को 16-0 से हराकर भारत ग्रुप में शीर्ष पर रहा. अफगानिस्तान के खिलाफ मुकाबले में कप्तान बलबीर सिंह ने पांच गोल किए थे, हालांकि फिर वह चोटिल हो गए थे. उनकी उंगली में फ्रैक्चर हो गया था, जिसकी वजह से आगे के मैचों में उन्हें बाहर बैठना पड़ा था. उनकी गैरमौजूदगी में उधम सिंह टीम के हीरो बनकर सामने आए.

पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में रणधीर सिंह ने दागा था इकलौता गोल

भारत ने लीग राउंड में 36 गोल किए. सेमीफाइनल में टीम इंडिया ने जर्मनी को 1-0 से मात दी थी. टीम के लिए इकलौता गोल उधम सिंह ने ही किया था. दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी ब्रिटेन को मात देकर फाइनल की जगह पक्की की थी. 1947 में हुए बंटवारे के बाद दोनों देश पहली बार आमने-सामने थे. बलबीर सिंह ने बताया था कि वह मैच से पहले की रात सो नहीं पाए थे. उन्हें चोट के कारण मैच खेलने की अनुमति नहीं मिली थी. हालांकि भारत ने पाकिस्तान को मैच शुरू होने तक इस भ्रम में रखा था कि बलबीर सिंह मुकाबले खेलेंगे. दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही. पहले हाफ में दोनों टीमें गोल नहीं कर पाई. दूसरे हाफ में भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला. रणधीर ‌सिंह ने इसे में गोल में बदलकर भारत को बढ़त दिला दी. गोलकीपर शंकर लक्ष्मण के मजबूत डिफेंस के कारण पाकिस्तान अपना खाता भी नहीं खोल पाया. भारत ने इस जीत के साथ लगातार छठा गोल्ड मेडल हासिल किया.