छत्तीसगढ़ में सरकारी विभाग में कर्मचारियों के ट्रांसफर के आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. 14 से 30 जून तक आवेदन मंगाए गए थे. अब कभी भी विभागवार ट्रांसफर लिस्ट जारी हो सकती है, लेकिन इस बीच ट्रांसफर नीति में बदलाव की मांग भी हो रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार अलग-अलग विभागों में कर्मचारियों के ट्रांसफर की सूचि कभी भी जारी कर सकती है, क्योंकि ट्रांसफर के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 30 जून को खत्म हो चुकी है. बताया जा रहा है कि अलग-अलग विभागों में हजारों की संख्या में ट्रांसफर के आवेदन भी आए हैं, लेकिन इस बीच ट्रांसफर पर बैन हटाने की समय सीमा में बदलाव की मांग भी हो रही है.
छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के संयोजक वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि स्कूल प्रारंभ होने के बाद बहुत सारी दिक्कतें होती हैं, क्योंकि स्कूल शुरू होने के बाद वहां से बच्चों को निकालना उनकी मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालता है. एक स्कूल से दूसरे स्कूल में एडमिशन करवाना पड़ता है. यात्रा करना भी मुश्किल है. ट्रांसफर के समय को अप्रैल से मई के बीच करना चाहिए, शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ट्रांसफर नीति बनाई जानी चाहिए.
क्या कहते हैं आंकड़े
छत्तीसगढ़ सरकार ने 14 जून से 30 जून तक कर्मचारियों से ट्रांसफर के लिए आवेदन मंगाए.
राज्य में अलग-अलग विभागों में लगभग 3 लाख 80 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं.
युक्तियुक्तकरण के कारण शासकीय शिक्षकों से ट्रांसफर के आवेदन नहीं मंगाए गए.
शिक्षा विभाग में 1 लाख 80 हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, जिन्हें ट्रांसफर नीति का लाभ नहीं मिला.
अब पढ़ाई भी होने वाली है शुरू
कांग्रेस प्रवक्ता अशीष यादव ने बताया कि छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार एक तरह से ट्रांसफर उद्योग चला रही है, कभी भी किसी का भी ट्रांसफर कहीं भी कर दिया जा रहा है. कर्मचारियों के ट्रांसफर का समय भी उन्हें परेशान करने वाला है, जब स्कूलों में एडमिशन के बाद कक्षाएं लगनी भी शुरू हो गई हैं, ऐसे में ट्रांसफर करना कर्मचारियों को परेशानी में डालना है.
भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी पूरी तरह से पारदर्शी है, यह सिविल सेवा की प्रक्रिया के तहत ही हो रही है. अमूमन हर सरकार के कालखंड में मई और जून महीने में ही यह संपादित किया जाता है, जहां तक कर्मचारियों के विरोध की बात है तो सरकार इसपर कर्मचारियों से बैठकर बात करेगी. अगर कोई समस्या है तो उसे दूर किया जाएगा.