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UP चुनाव में इस बार क्या बड़ी लकीर खीचेंगे ओवैसी? लंबे समय से बुना है AIMIM का जमीनी ताना-बाना

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ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने घोषणा कर दी है कि यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वह अपने 100 उम्मीदवार खड़ा करेंगे। जाहिर है कि जातीय समीकरण वाले इस राज्य में ओवैसी भी एक फैक्टर होंगे। बंगाल विस चुनाव में उन्हें भले ही अपेक्षित सफलता न मिली हो लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य में वह कई दलों के लिए वह मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। यूपी चुनावों के लिए ओवैसी ने ओम प्रकाश राजभर के साथ मिलकर ‘भागेदारी संकल्प मोर्चा’ बनाया है।

बिहार चुनाव नतीजे से उत्साहित हुए ओवैसी

बिहार में विधानसभा की पांच सीटे जीतने के बाद उत्साहित ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी यूपी और बंगाल का चुनाव लड़ेगी। बिहार में मुस्लिमों से मिला समर्थन ओवैसी को इन दो बड़े राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित किया। इन दोनों राज्यों मुस्लिमों की बड़ी आबादी है और वे बड़ी संख्या में सीटों के चुनाव नतीजे को प्रभावित करते हैं। बंगाल में ओवैसी को भले ही सफलता न मिली हो लेकिन यूपी से उन्हें काफी उम्मीदें हैं। यूपी जैसे बड़े राज्य में अपनी पार्टी की जमीन मजबूत करने के लिए एआईएमआईएम नेता दिसंबर 2020 से ही जुट गए।

यूपी में पूरी तैयारी के साथ उतर रही AIMIM

यूपी में 2017 के विस चुनाव में ओवैसी को एक भी सीट नहीं मिली लेकिन इस बार उनकी योजना पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरने की है। इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने गत जनवरी में पूर्वांचल का दौरा किया। वह समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की संसदीय सीट आजमगढ़ में गए और वहां से उन्होंने मुसलमानों के लिए एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश का मुसलमान किसी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक नहीं बनेगा और राजनीति में हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ेगा।

यूपी में चुनाव लड़ चुके हैं ओवैसी

बिहार की तरह उत्तर प्रदेश हिंदी भाषी प्रदेश है। बंगाल में एआईएमआईएम के प्रभाव न छोड़ने के पीछे भाषाई अड़चन भी रही है। ओवैसी हिंदी में वोटरों के साथ सीधा संवाद करते हैं लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं हो पाया। बंगाल में उनका यह पहला चुनाव भी था। यूपी की बात बंगाल से अलग है। यहां एआईएमआईएम का कैडर है। यहां ओवैसी चुनाव लड़ चुके हैं। यहां के स्थानीय मुद्दों एवं राजनीति की उन्हें गहरी समझ हो गई है। यूपी के पंचायत चुनावों में एआईएमआईएम समर्थित 22 उम्मीदवारों ने जिला परिषद का चुनाव जीता जबकि 50 सीटों पर वे दूसरे स्थान पर रहे हैं।

पंचायत चुनाव में दिखा असर

पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम का प्रभाव दिखा है। ओवैसी की नजर पूर्वांचल की उन मुस्लिम बहुल सीटों पर भी जहां मुस्लिम चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। जातियों पर प्रभाव रखने वाली छोटी-छोटी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना ओवैसी की फायदा पहुंचा सकता है। भागीदारी संकल्प मोर्चा में 10 दल शामिल हैं। कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल और पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के नेतृत्व वाली जन अधिकार मंच भी इस गठबंधन में शामिल है।