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सरकार के खिलाफ आदिवासी समाज की हड़ताल, श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगाने का विरोध

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जबलपुर। रानी दुर्गावती के 455वें बलिदान दिवस पर शहर से 30 किलोमीटर दूर प्रदेश के मुख्यमंत्री एक ओर जहां आदिवासी सम्मलेन कर अपनी सरकार का गुणगान कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर शहर में शिवराज सरकार से खफा आदिवासी समाज हफ्तेभर से क्रमिक हड़ताल पर बैठा है।

दरअसल हड़ताल पर बैठे आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि गुलौआ ताल में रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित किया जाना था, लेकिन नगर निगम ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को वहां पर स्थापित कर दिया है।  आदिवासियों का कहना है कि जब तक रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए भूमिपूजन नहीं हो जाता, तब तक वे यहां धरने पर बैठे रहेंगे। इनकी हड़ताल का समर्थन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और कांग्रेस कर रही है ।
रविवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम ने गुलौआ ताल के बीचोंबीच एक टापू पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए भूमिपूजन कर दिया। हीरा सिंह मरकाम ने कहा कि जबलपुर 52 ताल के नाम से जाना जाता था। रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में शहर में 52 ताल का निर्माण कराया था, जिसमे गुलौआ ताल भी शामिल था। इस ताल में रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित किया जाना था, लेकिन जिला सरकार ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को स्थापित कर दिया, जिस कारण से आदिवासी समाज को आघात लगा है। मरकाम ने कहा कि एक-एक रुपए जोड़कर आदिवासी समाज रानी दुर्गावती की प्रतिमा को अगले वर्ष बलिदान दिवस पर स्थापित करेगा। इसके लिए गोंडवाना पार्टी वादा नहीं वचन देती है कि वो आदिवासी समाज की धरोधर को बचाने के लिए कार्य करेगी।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और मंडला जिले से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को पूरे भारत में समाज से बहिष्कृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फग्गन सिंह कुलस्ते रानी दुर्गावती के वंशज हैं और जो भी अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करेगा, समाज उनका सम्मान नहीं करेगा। इधर आदिवासियों की हड़ताल के मद्देनज़र जिला प्रशासन ने यहां भारी पुलिस-बल तैनात किया। आदिवासी समाज ने इस अवसर पर एक रैली निकालकर फग्गन सिंह कुलस्ते का पुतला भी फूंका।

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