जेएनएन। ‘सबको घर’ मुहैया कराने की शहरी आवासीय परियोजनाएं शहरी श्रमिकों के पलायन रोकने में मददगार साबित होंगी। कोरोना काल के दौरान शहरी निकाय स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों की गति धीमी जरूर हुई लेकिन कहीं रोकी नहीं गई हैं। आने वाले समय में पलायन करने वाले श्रमिकों के लिए किराए के मकान बनाने की परियोजनाओं को भी ज्यादातर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने हाथोंहाथ लिया है।
निवेश से यह होगा फायदा
आवासीय परियोजनाओं में भारी निवेश से जहां अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा वहीं नई नौकरियां पैदा होंगी। शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए विशेष तैयारियों को अंजाम दिया है। योजना के तहत अब तक शहरी गरीबों के लिए सवा करोड़ पक्के मकानों को बनाने की मंजूरी दे दी गई है, जिसमें से 80 लाख का निर्माण अंतिम दौर में है।
ढाई करोड़ रोजगार सृजित हुए
कोरोना काल के दौरान गरीबों के आवास निर्माण जारी रहने के चलते तकरीबन ढाई करोड़ रोजगार सृजित किए गए। इस दौरान आवासीय परियोजनाओं को चालू रखने पर पूरा जोर दिया गया, ताकि शहरी श्रमिकों का पलायन न हो सके। वर्ष 2022 तक ‘सबको पक्का मकान’ मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित है।
7.35 लाख करोड़ का होना है निवेश
प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत मंजूर घरों को तैयार करने के लिए केंद्र की हिस्सेदारी 1.81 लाख करोड़ रुपये है। इसमें कुल 7.35 लाख करोड़ रुपये का निवेश होना है। केंद्र सरकार की ओर से अब तक एक लाख करोड़ रुपये की मदद जारी की जा चुकी है। पिछले तीन वर्षों के दौरान 20,000 करोड़ रुपये की लागत से रियायती दर से तैयार होने वाले हाऊसिंग फंड का उपयोग किया गया है।
मुहैया कराई जा रही वित्तीय मदद
शहरी आवासीय परियोजनाओं में विभिन्न आय वर्ग के लोगों को वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। निम्न आय वर्ग के 16 लाख लोगों को इस योजना के दायरे में लाया जा चुका है। इस तरह की आवासीय परियोजनों में भारी निवेश होने से इसमें 689 करोड़ मानव दिवस रोजगार के पैदा होने का अनुमान है, जिससे 2.46 करोड़ नई नौकरियां सृजित हुई हैं।
मकानों की क्वालिटी में हुआ सुधार
मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 3.70 करोड़ टन सीमेंट और 84 लाख टन स्टील की खपत हुई है। आवासीय निर्माण की तकनीक में कई बड़े सुधार किए गए हैं, जिससे जहां निर्माण की लागत घटी है वहीं मकानों की क्वालिटी में पर्याप्त सुधार भी हुआ है।
7,000 मकानों का प्रस्ताव तैयार
कोविड-19 संक्रमण से पलायन को बाध्य होने वाले शहरी गरीब श्रमिक परिवारों के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने एक उप योजना भी चालू की है। इसका प्रायोगिक प्रोजेक्ट चंडीगढ़ और सूरत में 2,588 घरों के निर्माण के साथ शुरु किया। इसी तर्ज पर दूसरे राज्यों में लगभग 7,000 मकानों का प्रस्ताव को तैयार किया गया है।
17 राज्यों ने रुचि दिखाई
इन मकानों को ऐसे श्रमिकों को रियायती दरों पर किराए पर उठाया जाएगा। इस उप योजना को लेकर अब तक 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी रुचि दिखाई है। उन्होंने इसके लिए कुल 80,000 से अधिक इकाइयों का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस योजना की सफलता से प्रवासी श्रमिकों के पलायन की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
चार लाख से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार
इस उप योजना के प्रस्तावित मकानों के निर्माण में 11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इससे कुल चार लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त हो सकेगा। परियोजना में घरों के निर्माण लगने वाले श्रमिकों को कुशल बनाने की दिशा में कारगर पहल की गई है। 4,427 शहरी निकाय क्षेत्रों में काम कर रहे कुशल मजदूरों को भी नई तकनीक से लैस करने के लिए सिटी लेवल टेक्निकल टीम के लगभग 2,200 विशेषज्ञों को लगाया गया है।