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दो दिवसीस जनजाति समग्र चिंतन शिविर का समापन कार्यक्रम

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प्रेम व अपनत्व की भावना से सामाजिक समानता व समरसता हेतु प्रयास करने की आवश्यकता है- डॉ. मोहन भागवत

रायपुर – अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की तत्वाधान में भारत के जनजातियों की अस्मिता एवं अस्तित्व विषय पर आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के दूसरे दिवस के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से सरसघंचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत के समस्त जनजाति समाज की दृष्टि विशुद्व रूप से पर्यावरणीय दृष्टि है जिसमें पर्यावरण व समाज की चिंता शामिल है। उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि समाज मंे समय-समय पर परिस्थितियों में बदलाव आना स्वाभाविक प्रक्रिया है पर हम सभी को समाज में प्रेम व अपनत्व की भावना से सामाजिक समानता व समरसता हेतु हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है। आज दिनांक 20 जून को प्रातः 9 बजे सत्र की शुरूआत हुई जिसमें कल की चर्चा को आगे बढाते हुए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैय्या जी जोशी ने जनजाति समाज मंे महिला नेतृत्व व युवा नेतृत्व कैसे खडा हो सके जिससे समाज के सभी वर्ग के युवाओं व महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए सर्वांगीण विकास की दिशा में कार्य किया जा सके। इसी तरह आगे के सत्र में चेन्नई के सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीस के निदेशक श्री जितेन्द्र कुमार बजाज ने जनजाति धर्म कोंड के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अनुसूचित जनजाति समाज में अनुसूचित जन जाति के जनगणना के अंदर अलग से पृथक कोड पहले से है एैसे में अलग से धर्म कोड की मांग केवल समाज में भ्रम फैलाने के लिए किया जा रहा है इस बात को हमें समझने की आवश्यकता है। आज पूरे दिन भर चले सत्र के दौरान जनजाति समाज के विभिन्न पक्ष जैसे सरकारी योजनाओं का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन, जनजाति समाज में युवा व महिला नेतृत्व, ग्रामीण समाज और पर्यावरण, जनजाति समाज के युवाआंे को सरकारी योजनाओं का लाभ तथा आरक्षण में समाज के अंतिम व्यक्ति को कैसे मिले इन सभी संबंधित विषयांे पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। इस कार्यशाला में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेव राम उरॉव, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैय्या जी जोशी, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले, श्री भागैया जी व डॉ. कृष्ण गोपाल जी, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री रामलाल जी तथा कंेद्रीय जनजाति कार्यमंत्री श्री जोएल उरॉव तथा कंेद्रीय मंत्री श्री सुदर्शन भगत तथा राष्ट्रीय जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नन्द कुमार साय, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री भूपेन्द्र यादव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील आंबेकर व राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री प्रफुल्ल आकांत, भाजपा जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रामविचार नेताम, राष्ट्रीय जनजाति आयोग की सदस्य श्रीमती अनुसूइया उइके, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जे. आर. राणा व छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष श्री विकास मरकाम प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इसके साथ ही जनजाति क्षत्रों में कार्य करने वाले प्रमुख संगठन जैसे अखिल भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद् तथा अधिवक्ता परिषद के प्रमुख पदाधिकारीगण विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस दो दिवसीय समग्र चिंतन शिविर में पूरे देश भर के जनजाति समाज के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करने वाले एैसे 140 चिंतक एवं सामाजिक नेतृत्वकर्ता व कार्यकर्ता भाग लिए। यह जानकारी चिंतन शिविर के संयोजक हर्ष चौहान ने दी।

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