हाथरस गैंगरेप की पीड़ित के परिवार ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार का कहना है कि उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उनके घर, गली और छत पर पुलिस तैनात हैं। पुलिस ने पूरे गांव बुलगढ़ी की नाकाबंदी की है। परिवार के मोबाइल फोन छीन लिए हैं। मीडिया से बात न करने के लिए डराया-धमकाया जा रहा है। इस बीच, शुक्रवार को गैंगरेप की पीड़ित युवती का सबसे छोटा भाई छिपकर खेतों से होकर मीडिया तक पहुंचा।
पीड़ित के भाई ने कहा कि वह घास काटने का बहाना बनाकर घर से बाहर आया और खेतों में छिपकर गांव से डेढ़ किमी दूर मीडिया तक पहुंचा। उसने बताया, ‘परिवार वालों के सभी मोबाइल बंद करवा दिए गए हैं और पुलिस ने अपने पास रख लिए हैं। पुलिस वालों ने मेरे ताऊ के साथ मारपीट की। उनका इतना ही कसूर था कि वे भी मीडिया वालों से बात करना चाहते थे। पुलिस वाले हमें बाहर नहीं आने दे रहे हैं और न ही मीडिया को अंदर आने दे रहे हैं।’
पीड़ित लड़की के चिता की राख उठाने नहीं दी
- परिवार का आरोप है कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शव को मुखाग्नि देने के तीसरे दिन चिता की राख को उठाकर अस्थियां नदी में प्रवाहित की जाती हैं। लेकिन, पुलिस ने अभी तक ऐसा नहीं करने दिया। परिवार घर से बाहर नहीं निकल पा रहा है।
- उधर, एडिशनल एसपी प्रकाश कुमार ने कहा कि जब तक एसआईटी पूरी जांच नहीं कर लेती, तब तक मीडिया को गांव में एंट्री नहीं दी जाएगी, लेकिन पॉलिटिकल पार्टी के किसी भी नेता को अंदर जाने कि आगे भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
पीड़ित के गांव के बाहर लगी फोर्स।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई। चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।