कोरबा। नदी नाले के किनारे से बारिश के सीजन में रेत उत्खनन व परिवहन पर रोक लगाई गई है। लेकिन दूसरी ओर अंधेरे में नदी-नालों के किनारे रेत माफियाओं की अवैध घाट खुल जाती है। जहां से रातभर रेत परिवहन करके शहर में जगह-जगह भंडारण किया जा रहा है। फिर दिन के उजाले में पुराना बताकर खुलेआम रेत की बिक्री की जाती है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बारिश के सीजन में 15 जून से 30 सितंबर तक रेत के उत्खनन और भंडारण पर रोक लगाने के आदेश जारी किया है। जिसके मद्देनजर प्रशासन ने जिले के सभी रेतघाट पर रेत उत्खनन पर रोक लगा दी है। इसके तहत रेतघाट बंद हो चुके हैं। लेकिन दूसरी ओर शहर में इस प्रतिबंध का असर देखने को नहीं मिल रहा है। एक पखवाड़े बीतने के बाद भी सड़कों पर रेत से भरे ट्रैक्टर दौड़ते नजर आ रहे हैं। वहीं जगह-जगह रेत के नए स्टॉक होते जा रहे हैं। दरअसल प्रतिबंध लगने के बाद से ही रेत माफिया सक्रिय हो गए, जो रात के अंधेरे में नदी-नालों से रेत निकलवा रहे हैं। रातभर हाइवा व ट्रैक्टर के जरिए शहर में खाली जगहों पर रेत को अनलोड करके स्टॉकर (भंडारण) किया जाता है। इसके बाद दिन में खुलेआम ऐसे स्थानों से पुराना स्टॉक बताकर दोगुने-तीगुने कीमत पर बेचा जा रहा है। दिन में खुलेआम रेत परिवहन कर रहे ट्रैक्टरों को न तो कोई रोकता है और न ही शहर में स्टॉक हो रहे रेत की जांच की जा रही है। सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोग सक्रिय, अफसरों में डर रोक के बाद हसदेव नदी में सीतामणी, गेवराघाट, बालको में ढेंगुरनाला व बेलगरी क्षेत्र से रेत उत्खनन व परिवहन हो रहा है। इन अवैध रेत घाट का संचालन करने वाले सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी से जुड़े बताए जा रहे हैं। जो हर वाहन के पीछे रकम लेकर अपना संरक्षण दे रहे हैं। यहीं कारण है कि जिम्मेदार खनिज विभाग के अलावा 24 घंटे सक्रिय रहने वाली पुलिस व प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई करने हाथ डालने से डर रहे हैं। माफियाओं के नाम कोसाबाड़ी निवासी पालीवाल बताया जाता है, तो दूसरी और कुसमुंडा के कांग्रेस नेता कादिर खान के द्वारा चलाया जा रहा है माफिया राज।