प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के ग्राम जांगला (जिला-बीजापुर) में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी और प्रसंस्करण के लिए केन्द्र सरकार की वन धन योजना की घोषणा करते हुए कहा-देशभर में वन धन विकास केन्द्र खोले जाएंगे ताकि हमारे वनवासी भाई-बहनों को वनोपजों का सही दाम मिल सके। साथ ही प्रसंस्करण के जरिए उनका मूल्य संवर्धन (वेल्यू एडिएशन) किया जा सके। उन्होंने वन धन योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री जन धन योजना और गोबर धन योजना का भी जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा-ये तीनों योजनाएं ग्रामीणों और विशेष रूप से वन क्षेत्रों के निवासियों और गरीबों के आर्थिक विकास में मददगार होंगी।
श्री मोदी ने कहा-प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत छत्तीसगढ़ के बैंकों में एक करोड़ 30 लाख खाते खुल चुके हैं। बैंकों में खाता होने पर उसका क्या फायदा मिलता है, यह आप सब जानते हैं। श्री मोदी ने वन धन योजना के महत्व पर प्रकाश डाला और उदाहरण देते हुए कहा कि कच्ची इमली को जब आप बेचते हैं तो 17 रूपए या 18 रूपए प्रति किलो की कीमत मिलती है, लेकिन उसी इमली का बीज निकाल दिया जाए और बीज रहित इमली को बाजार में बेचा जाए तो उसकी कीमत 50 रूपए से 60 रूपए प्रति किलो तक मिलती है। उन्होंने कहा-वन धन योजना में लघु वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण के कार्यों में लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा। श्री मोदी ने आज के कार्यक्रम में एक महिला स्वसहायता समूह को इमली प्रसंस्करण के लिए मशीन भेंट कर शुभकामनाएं दीं। इस मशीन से इमली के बीजों को आसानी से निकाला जा सकेगा।
जनसभा में श्री मोदी ने यह भी कहा-आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए वनाधिकार कानून को और भी ज्यादा सख्ती से लागू किया जाएगा। बांस की खेती करने वाले ग्रामीणों को उसका अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके, इसके लिए अब वे बिना किसी रोक-टोक के बांस का कारोबार कर सकेंगे। बीजापुर जिले में विगत दो वर्षों में ग्यारह महिला स्वसहायता समूहों द्वारा रेशम कृमि पालन के जरिए 34 लाख रूपए की आमदनी हासिल की है। इन समूहों की महिलाएं शहद उत्पादन के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री के जांगला प्रवास के दौरान आज वहां प्रदर्शनी में लगाए गए वन विभाग के स्टॉल में श्री मोदी ने इन महिला समूहों से भी मुलाकात की।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए गोबर-धन योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत गोबर और खेतों के ठोस कचरे को कम्पोस्ट खाद, बायोगैस तथा बायो-सीएनजी में बदला जाएगा।