छत्तीसगढ़ के बीजापुर में लगातार 13 दिनों से जारी बारिश से शनिवार को थोड़ी राहत जरूर मिली है। इसके बावजूद अंदरूनी इलाकों के हालात खराब हैं। नदी-नाले उफान पर हैं और कई गांव टापू में बदल गए हैं। ऐसे में एसडीआरएफ और सुरक्षाबल के जवानों ने शुक्रवार देर रात नक्सल प्रभावित इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर दिव्यांग दंपति समेत 3 लोगों की जान बचाई।

भोपालपटनम ब्लॉक के पामगल पंचायत के कोमटपल्ली ग्राम निवासी दंपति सत्यम सकनी और कमला सकनी लकवाग्रस्त हैं। दोनों बाढ़ की वजह से अपने गांव में फंस गए थे। मद्देड़ थाना पुलिस, एसडीआरएफ, के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
इलाज के लिए लकवाग्रस्त दंपति को पहुंचना था अस्पताल
जानकारी के मुताबिक, भोपालपटनम ब्लॉक के पामगल पंचायत के कोमटपल्ली ग्राम निवासी दंपति सत्यम सकनी और कमला सकनी लकवाग्रस्त हैं। दोनों बाढ़ की वजह से अपने गांव में फंस गए थे। उनको इलाज के लिए अस्पताल पहुंचना था। इस पर किसी तरह इसकी सूचना पुलिस तक पहुंचाई। इसके बाद मद्देड़ थाना पुलिस, एसडीआरएफ, के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।

जवान दंपति को कंधे पर और फिर नाव में लेकर आए। इसके बाद सभी को बीजापुर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
नाव से लाकर बीजापुर अस्पताल में कराया गया भर्ती
जवान और एसडीआरएफ की टीम उफनती चिंतावागु नदी को पार कर चिंतावागु रपटे तक पहुंचे। इसके बाद 5 किमी अंदर कच्ची सड़क से पार कर गांव तक पहुंचे। तब तक शाम हो चुकी थी। ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना चुनौती भरा था। बावजूद इसके जवान दंपति को कंधे पर और फिर नाव में लेकर आए। इसके बाद सभी को बीजापुर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गांव कोटेर के ग्रामीणों ने कलेक्टर को पत्र लिखकर सचिव को हटाने की मांगी की है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम सचिव को कॉल करते हैं तो वह रिसीव ही नहीं करती हैं। 15 दिनों से वे बाढ़ में फंसे हुए हैं। इस माह का राशन तक नहीं ले पाए हैं।
ग्रामीणों ने लिखा पत्र- पंचायत सचिव को हटा दो, कोई मदद नहीं करता
गांव कोटेर के ग्रामीणों ने कलेक्टर को पत्र लिखकर सचिव को हटाने की मांगी की है। ग्रामीणों का आरोप है कि 15 दिनों से वे बाढ़ में फंसे हुए हैं। इस माह का राशन तक नहीं ले पाए हैं। इसके चलते उनके पास खाने की भी परेशानी है। गांव के कई लोग बीमार हैं। ग्राम सचिव को कॉल करते हैं तो वह रिसीव ही नहीं करती हैं। जब कभी रिसीव करती है तो उसके बाद भी गांव में नहीं आती है।