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त्रिपुरा में शून्य से शिखर तक पहुंची भाजपा, नगालैंड और मेघालय में गठजोड़ की राजनीति शुरू

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त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शून्य से शिखर तक का सफर तय करते हुए 25 साल से सत्ता में काबिज वाम मोर्चा सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया। शनिवार को आए चुनाव नतीजों में त्रिपुरा में अकेले दम पर बहुमत हासिल कर चुकी भाजपा को नगालैंड में एनपीएफ के साथ सरकार में शामिल होने का न्यौता मिला है, जबकि मेघालय में किसी को भी बहुमत नहीं मिला है लेकिन भाजपा के सत्ता में सहयोगी बनने की संभावना नजर आ रही है।

वाम मोर्चो के आखिरी गढ़ त्रिपुरा में भाजपा का जादू सिर चढ़कर बोला। राज्य में ‘चलो पाल्टाई’ (चलो बदलें) का उसका नारा कामयाब रहा और उसने अपनी सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ मिलकर 43 सीटें जीत लीं। माकपा की अगुवाई वाले वाम मोर्चा को 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जबकि कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया।

नगालैंड में नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 29 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है जबकि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ भाजपा के गठबंधन को 26 सीटें हासिल हुई हैं। हालांकि मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग की एनपीएफ ने भाजपा को सरकार में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। मालूम हो कि चुनाव के पहले भाजपा ने एनपीएफ से नाता तोड़ एनडीपीपी से हाथ मिलाया था।

भाजपा नेता हिमांता बिस्वा शर्मा के मुताबिक मेघालय में भाजपा अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकती, भाजपा के पास वोटों की पर्याप्त संख्या नहीं है, इसलिए उसे क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को साथ लाना होगा। हिमांता ने कहा कि मेरा मानना है कि पार्टियां गैर-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए एक साथ आएंगी।

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