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Chhattisgarh Education : स्कूल शिक्षा विभाग ने पहले का वीडियो पढ़ाया नहीं, फिर बनाने की तैयारी

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Chhattisgarh Education योजना के तहत नौवीं से 12वीं तक के छात्रों को विषयों की जानकारी वीडियो पाठ के माध्यम से दी जाएगी।

रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों को प्रयोगशाला बना दिया है। कभी किताबों में क्यूआर कोड लगाकर इसे स्कैन करके पढ़ने को प्रोत्साहित किया जा रहा है तो कभी वीडियो बनाकर पढ़ाने के दावे। दिलचस्प बात यह है कि एक साल पहले राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों के पाठ्यक्रम के आधार पर वीडियो बनाया था। यह वीडियो आज तक स्कूलों में नहीं पहुंच पाया।

बताया जाता है कि एससीईआरटी के अफसरों ने इस वीडियो को बनाने में ही करोड़ों रुपये फूंक डाले थे। बाद में विवाद यह भी आया था कि जो वीडियो एससीईआरटी ने बनाया है, उनमें मौलिकता कम कट और पेस्ट ज्यादा है। हालांकि एससीईआरटी ने इसके लिए कई सेमिनार भी कराए थे।

बावजूद इन वीडियोज का अभी तक स्कूलों में इस्तेमाल ही नहीं हो पाया है। बता दें कि एक बार फिर प्रदेश के दूर-दराज के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने का हवाला देकर दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा देने की योजना बनी है।

योजना के तहत नौवीं से 12वीं तक के छात्रों को विषयों की जानकारी वीडियो पाठ के माध्यम से दी जाएगी। इसके लिए ट्रायल के रूप में छह स्कूलों का चयन किया गया है। इनमें शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल चांपा बलौदाबाजार, नवापारा, सेल, बारना, खरोरा, खौना शामिल हैं। दावा किया जा रहा है कि अब प्रदेशभर में इन वीडियो से बच्चों को पढ़ाया जाएगा।

कांकेर की कलेक्टर ने की थी शुरुआत

कुछ साल पहले कांकेर में तत्कालीन कलेक्टर शम्मी आबिदी ने विशेषज्ञों के लेक्चर का वीडियो बनाकर कम शिक्षक वाले स्कूलों में भेजा था, इसकी खूब चर्चा हुई थी। इसके बाद यही प्रयोग रायपुर के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने किया था। हालांकि यह प्रयोग कुछ हद तक बेहतर भी साबित हुआ था। इस प्रयोग को अफसरों के हटने के बाद आगे बढ़ाने का प्रयास ही नहीं किया गया है।

माशिमं ने किया था प्रयोग

माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी एक निजी संस्थान एमओयू करके लाखों रुपये के ई-कंटेट खरीदे थे। बोर्ड परीक्षा के परिणाम बढ़ाने का हवाला देकर एक साल तक पढ़ाई कराने का दावा किया गया था। जिस संस्थान को जिम्मा दिया गया था वह हर स्कूल तक वीडियो पहुंचाने में नाकाम रही। तब दावा किया गया था कि कठिन विषयों में भौतिकी, जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र, गणित, अंग्रेजी के विषय विशेषज्ञों के लेक्चर बच्चे पढ़ सकेंगे।

फैक्ट फाइल

33 हजार 257 प्राइमरी स्कूल प्रदेश में

16 हजार 450 मिडिल स्कूल प्रदेश में

56 हजार 727 कुल स्कूल प्रदेश में

2689 हाई और 4331 हायर सेकेंडरी स्कूल

59 लाख बच्चे अध्ययनरत इन स्कूलों में