एक ओर जहां बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। गांव का पढ़ा-लिखा युवा नौकरियों की तलाश में शहर की ओर भाग रहा है। गांव की खेती घटती जा रही है। ऐसे में नारायणपुर कलेक्टर पीएस एल्मा की पहल पर ग्राम पंचायत करलखा में सामुदायिक खेती की तैयारी की जा रही है। इसके लिए 215 एकड़ जमीन चिन्हित कर उसकी तार फेंसिंग करा दी गई है। गांव के 165 किसानों को इसके लिए जोड़ा गया है। इसमें ज्यादातर उन युवाओं को व्यावसायिक खेती कराने की तैयारी है, जो पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनके पास नौकरी नहीं है। यानी गांव में रहकर ही आमदनी करने की इस पहल को सभी सराह रहे हैं।
ग्राम करलखा को सामूहिक खेती से जोड़कर ग्रीन हब बनाने की तैयारी है। खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का गुरु मंत्र देते हुए कलेक्टर एल्मा नौकरी की आस में निराश बैठे गांव के युवाओं में नया जोश भर रहे हैं।
बारिश के दिनों में भी बंजर पड़ी रहने वाली भूमि को अब गर्मी के दिनों में भी हरियाली बिखेरने के लिए तैयार किया जा रहा है। खेती की सुरक्षा के लिए चारों ओर से फेंसिंग तारों से घेरा जा रहा है।
डबरी और तालाब निर्माण के साथ नलकूप खनन किया जा रहा है। 215 एकड़ जमीन के चारों मनरेगा से सड़क का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे किसानों को अपनी पैदावार को निकालने में आसानी होगी।
कलेक्टर पीएस एल्मा ने कहा कि मौजूदा दौर में सभी को नौकरी मिल पाना कठिन है। ऐसे में स्वयं के संसाधनों का भरपूर उपयोग करते हुए आत्मनिर्भर बनना चाहिए। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को नकदी फसल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
दलहन और तिलहन फसलों के बीज निश्शुल्क वितरित कर रहे हैं। गांव के कई किसान 50 डिसमिल से लेकर पांच एकड़ तक के भूस्वामी हैं, लेकिन वे अपनी जमीन का उपयोग नहीं करते हैं। किसानों को प्रोत्साहित कर गर्मी की फसल के साथ रबी और खरीफ की फसल लेकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। इन किसानों में 75 फीसद किसान आदिवासी समुदाय से हैं।
युवाओं के चेहरे पर चमक
करलखा के शिक्षित बेरोजगार युवाओं की मुरझाए चेहरों पर इन दिनों चमक दिख रही है। पूर्वजों की बंजर भूमि से वे अपने सपनों को पंख लगाने के लिए उड़ान भरने की तैयारी में हैं। शिक्षित युवा बेरोजगार प्रशांत यदु ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा गांव के लोगों को प्रोत्साहित कर स्वावलंबन की दिशा में कारगर कदम उठाया जा रहा है। अब अपने सपने को संवारने का मौका मिल रहा है। सरपंच घस्सूराम का कहना है कि खेती किसानी के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध करवाकर आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान की जा रही है।
पशुपालकों को मिला सहारा
दूध ग्राम के नाम से चर्चित करलखा पंचायत के दूध व्यवसायियों को दाना के झंझट से मुक्ति दिलाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा बड़ा कदम उठाया जा रहा है। डेयरी संचालकों को गांव में ही हरे चारे की व्यवस्था के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिला प्रशासन के द्वारा डेयरी संचालकों को गोबर से जैविक खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।