Home News छत्तीसगढ़ : आदिवासी बोले-महिषासुर हमारे पूर्वज और रावण गुरु इन्हें…

छत्तीसगढ़ : आदिवासी बोले-महिषासुर हमारे पूर्वज और रावण गुरु इन्हें…

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आदिवासी समाज के कुछ लोगों ने जनदर्शन में कलेक्टर को इस बात की शिकायत की है कि उनके पूर्वज और गुरुओं का बरसों से अपमान होता आ रहा है। वे असुर राजा महिषासुर को अपने वंशज और लंकापति रावण को गुरु मानकर उनकी पूजा- आराधना करते आ रहे हैं। इसके उलट कुछ विशेष समाज के लोग हर दुर्गोत्सव में महिषासुर की प्रतिमा मां दुर्गा के साथ लगाते हैं।

प्रतिमा भी ऐसी लगाई जाती है, जिसमें मां दुर्गा महिषासुर का संहार करते दिखती हैं। इसके बाद रावण दहन किया जाता है। जो सरासर गलत है। इस परंपरा को पूरी तरह खत्म करने के लिए ही उन्होंने कलेक्टर से आग्रह किया है। ये चिट्ठी 30 सितंबर 2019 को आदिवासी समुदाय ग्राम ककरेड़ा के पदाधिकारियों द्वारा लिखी गई है। उन्होंने उल्लेख किया है कि शुंभ-निशुंभ विदारे,  महिषासुर धाती… बोलकर हमारे पेन शक्ति का गाना गाया जा रहा है। इससे हमें अपमानित महसूस होता है। 


 ऐसे ही गोड़वाना सम्राट महाराजा रावण की प्रतिमा को बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जा रहा है। इसके बाद ही दशहरा मनाने की परंपरा बनाई गई है। यह प्रथा बरसों से चली आ रही है। जो गलत है। आदिवासी समाज गोंगो के रूप में रावण की पूजा करते आ रहे हैं। उन्हें इससे तकलीफ महसूस होती है। उन्होंने मांग की है कि यह परंपरा पूरी तरह खत्म की जाए। किसी भी स्थान पर राजा रावण और महिषासुर की प्रतिमा रखने को पूर्ण रूप से बंद करने का आग्रह भी किया गया है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्होंने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। 


अनुच्छेद 15 का किया जिक्र, लिखा- भेदभाव करना गलत
समाज के लोगों ने चिट्ठी में संविधान में अनुच्छेद 15 का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि इस अनुच्छेद के मुताबिक धर्म, लिंग, जाति, और जन्मस्थान के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना प्रतिबंधित है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद (53) अ (295) अ 290 के तहत किसी धर्म, जाति, वंश, लिंग को भेदभाव व अपमानित नहीं किया जा सकता है। इसके चलते ही उन्होंने ऐसा करने पर रोक लगाने की मांग की है।

कलेक्टर ने अपर कलेक्टर को बढ़ाया मामला
कलेक्टर ने मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी शिकायत शाखा प्रभारी दिव्या अग्रवाल को दी है। दिव्या अग्रवाल ने मामले को पढ़कर रिपोर्ट में यह लिख दिया है कि यह उनके विभाग से जुड़ा प्रकरण नहीं है। इस कारण वे इस मामले को सुलझाने में नाकाम हैं। उन्होंने यह रिपोर्ट कलेक्टर को वापस भेज दी है। इसके कारण मामले में आगे क्या होगा इस पर पशोपेश की स्थिति निर्मित हो गई है। मामले में किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से अफसर बच रहे हैं।