अगर हौसलों पर उड़ान हों तो मंजीलें मिल ही जाती है। कुछ अच्छा कर गुजरने का दिल में जज्बा हो तो तो हर मुश्किल राह भी आसान हो जाती ह, ऐसे ही धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में स्वास्थ्य सेवा का अलख जगा रही है एएनएम अनुसुईया राव और इनका साथ दे रहे हैं वर्कर उमेश ककेम। जिनकी जन सेवा के भाव ने न केवल बीहड़ों में स्वास्थ्य सेवा लोगो तक पहुंचाया है वरन इस क्षेत्रों के लोगों के लिए दिलों मे भी अपना कब्जा जमाया है ।
हम चर्चा कर रहें हैं धुर नक्सल प्रभावित जिला बीजापुर के उसूर विकासखण्ड के स्वास्थ्य केन्द्र बासागुडा से 25 किलो मीटर दूर उप स्वास्थ्य केन्द्र कोण्डापल्ली के अंतर्गत आने वाले टेकुलगुडा ग्राम पंचायतकी। जहां सरकार की नहीं जनताना सरकार की हुकूमत चलती हैं। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के चलते शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सुविधाएं सिफर हैं। ऐसे में टेकुलगुडा के भरे नदी को पार कर बासागुडा स्वास्थ्य केन्द्र की एएनएम अनसूर्या राव यंहा के ग्रामीणो से मिलकर स्वास्थ्य सेंवाए देती हैं। गर्भवती महिलाओं का टीकारण से लेकर प्रसव तक व बच्चों और लोगों के प्राथमिक उपचार के लिए भी अनुसुईया राव जान जोखिम में डालकर इनके बीच पहुंचती है और उपचार करती है। कैसे बीमारियों से बचा जाये,कैसे गर्भवती महिलाओं को एहतियात बरतनी चाहिये, बीमारी मे क्या खाना चाहिए इन सब की जानकारी एएनएम देती है ।
बीहड़ो में बसा बासागुडा क्षेत्र का दर्जनों गांव
बीजापुर जिले के दर्जनों गांव इसी तरह बिजली, पानी, सड़क, राशन, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अहम जरूरतों से जूझ रहा है। एक तो अतिसवंदेनशील क्षेत्र उस पर आदिवासी लोगों की बासाहट जहां शासन और प्रशासन कोसो दूर हैं। विकास की लहर इन क्षेत्रों मे पहुंच भी नहीं पा रहा है। अज्ञानता और पिछड़ापन आदिवासियों के जीवन का एक हिस्सा बन कर रह गया है। आुधनिक युग के बावजूद भी बीजापुर क्षेत्र के दर्जनों संवेदनशील व बीहड़ गांव आज भी अपनी दयनीय दशा पर आंसू बहा रहें हैं। इन क्षेत्रों में सारे सरकारी योजनाओं शून्य हैं। बीहड़ो में बसी जिन्दगी शहरी चकाचौंध से आज भी कोसो दूर हैं।
सड़क, पुल के अभाव से मुख्यालय से कटा हुआ है यह क्षेत्र
जैसे की एएनएम अनुसुईया राव को नदी पार करते हुये छायाचित्र मे परिलक्षित हो रहा है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार चाहे कितने ही विकास का डंका बजाय पर जमीनी हकिकत में सरकारी सुविधाएं इन क्षेत्रों में सपना जेसा हो गया है। अगर पुल- पुलियों का निर्माण होता तो क्या उक्त महिला अपने स्वास्थ्यकर्मी साथियों के साथ इस तरह भरी नदी पार करती, जान जोखिम में डाल स्वास्थ्य सेवांए पहुंचाती, शायद नहीं यह एएनएम की मानवीय सोच है जो हौसले बुंदल कर जन सेवा के लिए तत्पर है ।
कर्मवीर पुरूस्कार की हैं हकदार अनुसुईया राव
नक्सली दहशत से हर रोज दहलने वाला क्षेत्र बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की अलख जगा रही। लोगों तक जनसेवा की भवनाओं को पहुंचा रही। इस कर्मवीर महिला एएनएम राव के हौसलें को समूचा बस्तर सैल्यूट करता है। प्रशासन, शासन को ऐसे कर्मवीरों को पुरूस्कार से नवाज, हौसला अफजाई करनी चाहिए। ताकि जन सेवा की भावनाएं मुश्किलों को चीर कर लोगो तक पहुंच सके।