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जैविक खेती देसी खेती का आधुनिक तरीका…

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संस्था के कमल भारद्वाज ने बताया कि जैविक खेती देसी खेती का आधुनिक तरीका है, जहां प्रकृति एवं पर्यावरण को संतुलित रखते हुए खेती की जाती है। इसमें रासायनिक खाद कीटनाशकों का उपयोग न कर खेत में गोबर की खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रक फास्फेट, जिप्सम आदि से पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। फसल को प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों से हानिकारक कीटों तथा बीमारियों से बचाया जाता है। अधिक अनाज उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंधाधुंध उर्वरकों, कीटनाशकों और रासायनों का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण भूमि की विषाक्तता भी बढ़ गई। मिट्टी से अनेक उपयोगी जीवाणु नष्ट हो गए और उर्वरा शक्ति भी कम हो गई। इस समस्या के निराकरण के लिए आधुनिक जैविक खेती की अवधारणा एक उचित विकल्प के रूप में उभरकर सामने आई है। चूंकि जैविक कृषि में किसी भी प्रकार के रासायनिक आदानों का प्रयोग वर्जित है तथा फसल उत्पादन के लिए वांछित सभी संसाधन किसानों को ही जुटाने होते हैं, इसलिए उनको संसाधनों के उत्पादन, उनका उचित प्रयोग और जैविक खेती प्रबंधन तकनीकी के बारे में प्रशिक्षित करना बहुत आवश्यक है। कार्यक्रम को सफल बनाने में गोपाल सिंह राज, करन सिंह पोर्ते का सहयोग रहा। कार्यक्रम में धनेश्वरी, सुलोचना, सुमरित, संतोषी, जय कुमारी, सुरूज, सावित्री, बृहस्पति, उषा, बिरिस कुंवर, शीतल सिंह, शिवचरण सिंह, लालसिंह, लच्छन सिंह, फूल सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।

ग्राम पंचायत दमिया में कर्मदक्ष संस्था ने परिचर्चा का आयोजन किया। इस दौरान बताया गया कि धान व सब्जी में किस तरह के रोग होते हैं और उस पर नियंत्रण किस तरह से कर सकते हैं।