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कोरबा के जंगल में मिला कैंसर का उपचार, बड़े काम का है दहीमन

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छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की कोरबा इकाई के तत्वावधान में एक खोज यात्रा आयोजित की गई थी। बाल्को के घने जंगलों में चली इस खोज यात्रा में विज्ञान विशेषज्ञों की टीम ने एक खास औषधीय पौधा दहीमन की खोज की है। उन्हें मिले दहीमन के पौधे की विशेषता इसकी छाल से मिलने वाले ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट में होती है। इस पौधे से प्राप्त होने वाले एक्सट्रैक्ट में एंटीफंगल एंटीमाइक्रोबियल और एंटी कैंसर तत्व प्राप्त होते हैं।

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की यह खोज यात्रा पिछले दिनों वनांचल ग्राम बेला से कॉफी प्वाइंट के बीच आयोजित की गई थी। घने जंगलों से होते हुए प्राणीशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र एवं फॉरेस्ट्री समेत विज्ञान के विभिन्न विभागों के विशेज्ञों की टीम ने लगभग 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा की।

एक दिवसीय खोज यात्रा का आयोजन वन विभाग की अनुमति से किया गया। इस दल में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सचिव डॉ. वाईके सोना, डॉ. दिनेश दीक्षित, सर्पमित्र अविनाश यादव, डॉ. भास्कर, प्राणीशास्त्र की सहायक प्राध्यापक निधि सिंह, वेदव्रत उपाध्याय जंतु विज्ञान विभाग, ज्योति दीवान रासायन विभाग, वैद्य अर्जुन श्रीवास, संतोष गुप्ता, शासकीय कॉलेज के वनस्पति शास्त्र की विभागाध्यक्ष रेनू बाला शर्मा, सहायक प्राध्यापक संदीप शुक्ला, सुशील अग्रवाल एवं समस्त विद्यार्थियों ने भरपूर ऊर्जा दिखाई। इन सभी के संयुक्त सहयोग एवं भागीदारी से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वन विभाग की ओर से महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

कोबरा प्रजाति के सर्प विष के लिए एंटी वेनम भी

इतना ही नहीं दहीमन के इस पौधे की छाल में मौजूद ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट में से नाजा यानी कोबरा प्रजाति के सर्पों के विष के लिए एंटी वेनम बनाने पर अभी भी शोध कार्य चल रहा है।

60 औषधीय पौधों की पहचान

खोज यात्रा में शामिल रहे दल के सदस्यों में केएन कॉलेज एवं शासकीय पीजी कॉलेज के लगभग 80 छात्र-छात्राएं भी थे, जिन्होंने अपने विभाग के विषय विशेषज्ञों के साथ खोज यात्रा की। औषधीय पौधों की खोज यात्रा के दौरान लगभग 60 औषधीय पौधों की पहचान की एवं उनकी उपयोग के विषय में जानकारी प्राप्त की।

यात्रा के दौरान विशेषज्ञों की टीम को विभिन्न प्रकार के कीट एवं तितलियों के अंडे, कैटरपिलर, कुछ सर्प जिनमें से विशेषता वाले वाइन स्नेक व मेंढकों की प्रजातियां खोज यात्रा के दौरान दिखी।