छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी बाहुल्य जशपुर (Jashpur) जिले की पहचान अब अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market) में बन रही है. बागवानी की खेती में आगे जशपुर जिले की पहचान अब देश की सीमा के पार जा पहुंची है. जशपुर जिले में पैदा होने वाले काजू (Cashew) का अब जापान (Japan) की एक कम्पनी सरताज (Sartaj) ने खरीदने का विधिवत एमओयू किया है. इससे किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है. जशपुर जिले के विभिन्न इलाकों में किसान करीब 5000 एकड़ में काजू की खेती कर रहे हैं.
रायपुर (Raipur) में 20 से 22 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता प्रदर्शनी में कई विदेशी कमंपनियों के साथ एमओयू (MOU) किया गया है. इसके तहत ही जशपुर (Jashpur) जिले में काजू के उत्पादन एवं प्रोसेसिंग के लिए गठित सहयोग ग्रीन प्लस आदिवासी सहकारी समिति दुलदुला से जापान की सरताज कम्पनी ने प्रतिवर्ष 60 क्विंटल काजू खरीदने का अनुबंध किया है.
जशपुर के बगीचा विकासखंड के पाठ इलाके में और मनोरा में बहुतायत रूप से पैदा होने वाली नाशपाती भी अब अंर्तराष्ट्रीय बाजार में धूम मचाएगी. किसान नेटर्वक गुरुग्राम ने जशपुर में होन वाली नाशपाती को क्रय करने के लिए हरित क्राति आदिवासी सहकारी समिति बगीचा से एमओयू किया है. यह कम्पनी जशपुर से हर साल दस हजार क्विंटल नाशपाती खरीदेगी और अंर्तराष्ट्रीय बाजार में बेचेगी.

जशपुर जिले में लिची, स्ट्राबेरी, मिर्च, आलू, आम और चाय की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अनुकूल मौसम और उपजाऊ मिट्टी की वजह से दिनों-दिन इसकी खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ते ही जा रहा है. जशपुर की चाय की खूशबू भी धीरे-धीरे फैलती जा रही है. बता दें कि जशपुर जिले के दुलदुला, कुनकुरी, फरसाबहार, कांसा बेल और पत्थलगांव में 7800 किसान नाबार्ड की बाड़ी विकास योजना से तथा उतने ही किसान लगभग 5000 एकड़ में काजू की खेती कर रहे है. नाबार्ड ने जिन 7800 किसानों को लाभांवित किया था. वह सभी लगभग 3400 एकड़ में काजू और 3400 एकड़ में दशहरी आम का रोपण कर अब बड़े पैमाने पर काजू और आम का उत्पादन करने लगे हैं. दुलदुला ब्लाॅक के ग्राम रायटोली में काजू प्रोसेसिंग प्लांट भी लगा है, जिसकी उत्पादन क्षमता रोजाना 1 क्विंटल काजू की है.