कोरबा में प्रदूषण का असल कारण यहां के पॉवर प्लांट से निकलने वाला राख है। ताजा जानकारी के मुताबिक 14 पॉवर प्लांट से प्रतिदिन 50 टन रख उत्सर्जित होता है। यह राख धुएं में मिलकर वायु को प्रदूषित कर रहा है। जनजीवन पर यह तेजी से बुरा असर डाल रहा है। कोयला आधारित पॉवर प्लांट में प्रदूषण रोकने किए गए सभी उपाय भी फेल हो चुका है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने छत्तीसगढ़ के कोरबा और रायगढ को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर में शामिल किया। नासा ने अपनी एक रिपोर्ट में दुनिया भर के 50 सबसे प्रदूषित शहरों को जगह दी है। इसमें कोरबा 17वां और रायगढ़ 48वें नंबर पर है। प्रदूषण के असल यह है कि कोरबा में 14 पॉवर प्लांट है। प्रतिदिन यह छह हजार मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है। एक लाख टन कोयले की खपत होती है। इसका 50 फीसदी हिस्सा यानी 50 टन कोयला राख बनकर निकलता है। यह राख धुएं में मिलकर वायु के कण में शामिल हो रही है। मानव जीवन के लिए यह जहर है। इतना ही नहीं कोरबा में पांच ओपन कास्ट कोयला खदान है। आठ अंडर ग्राउंड खदान है। प्रदूषण को बढ़ाने में यह काफी है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी इसे लेकर गहरी चिंता जताई है। खास बात यह कि प्रदूषण को कम करने पॉवर प्लांट में ईएसपी का विशेष उपयोग करने दावा किया गया। ताजा नतीजों से स्पष्ट है कि यह उपाय भी फेल हो गया है। स्थिति यही रही तो यहां जीवन यापन अब संभव नहीं होगा।
कोरबा में वायु प्रदूषण के मुख्य घटक
00 पॉवर प्लांट से निकलने वाला राख
00 वाहनों, चिमनियों से निकल रहा धुआं
00 शहर और सड़क में फैली धूल के कण
00 बायोमास जलाने से होने वाला प्रदूषण
00 निर्माण से जुड़े काम से निकला कचरा
00 होटलों में भट्टियों से निकल रहा धुआं
देश में पांचवा स्थान
प्रदूषण के मामले में विश्व में कोरबा भले ही 17वें स्थान पर है लेकिन देश में स्थिति और भी चिंताजनक है। पांचवे नंबर पर होने के बाद भी सरकार को इस ओर सुध नहीं है। कोरबा की हवा सबसे ज्यादा जहरीली है। जानकार इसकी वजह पीएम10 के खतरनाक स्तर को भी मान रहे हैं। अस्थमा रोगियों की तादाद बेहद तेजी से यहां बढ़ रही है।
धुएं के कण में पीएम-10
पीएम10 ऐसे पर्टिकुलेट मैटर या कण होते हैं जिनका 2.5 माइक्रोमीटर से 10 माइक्रोमीटर तक डॉयमाइक्रोमीटर होता है। इस तरह के कण सामान्य तौर पर वाहनों के ईंधन, धूल, घरेलू ईंधन निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल धुएं आदि में पाए जाते हैं। ये कण आसानी से लंग्स और खून में जमा हो जाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक ये क्रॉनिक डिसीज, कैंसर और फेफडे की दूसरी बीमारियों की मुख्य वजह होते हैं।