Home News बरिमा जंगली हाथियों का कहर, ग्रामीण के घर तोड़े, फसल भी तबाह,...

बरिमा जंगली हाथियों का कहर, ग्रामीण के घर तोड़े, फसल भी तबाह, देखें तस्वीरें…

7
0

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में जंगली हाथियों का कहर लगातार जारी है। कापु वन परिक्षेत्र से लगे मैनपाट के बरीमा में हाथियों द्वारा लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बुधवार की रात हाथियों ने चार ग्रामीणों का घर क्षतिग्रस्त करने के साथ ही मक्के व धान की फसल को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया।

हाथियों का लोकेशन मिल जाने के बावजूद उन्हें सुरक्षित तरीके से जंगल में रोक पाने का सारा प्रयास विफल हो रहा है। पिछले 8 महीने से मैनपाट के वन अधिकारी, कर्मचारी हाथियों से बचाव के लिए प्रयास में लगे हुए हैं लेकिन हर रणनीति फेल नजर आ रही है।

मैनपाट और कापु क्षेत्र के बड़े वन क्षेत्र को 14 हाथियों के दल ने स्थाई ठिकाना बना लिया है। पिछले 8 महीने से हाथी इसी क्षेत्र में जमे हुए हैं। गर्मी के सीजन में जंगल में ही चारा, पानी की व्यवस्था हो जाने तथा आबादी क्षेत्र में फसल नही होने के कारण हाथी आबादी क्षेत्र की ओर नहीं आ रहे थे। जैसे ही आबादी क्षेत्र से लगे खेतों में फसल लहलहाने लगी है, वैसे ही हाथियों का दल हर रोज जंगल से निकलकर खेतों में पहुंच रहा है।

मैनपाट में बड़े पैमाने पर किसान की आलू की पैदावार करते हैं। यहां जंगली हाथियों ने आलू की फसल तो तबाह कर ही रहे हैं, साथ में मक्का और धान की फसल भी कुचल रहे हैं। जिससे प्रभावित किसानों में चिंता है। बुधवार की रात जंगल से निकले हाथियों ने बरिमा में प्राणनाथ यादव, चक्रधारी यादव, कन्हैया यादव व कर्मवीर नामक ग्रामीण का घर क्षतिग्रस्त कर दिया।

हाथियों के आने से पहले ही इन घरों में रहने वाले लोग सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए थे, जिससे कोई गंभीर घटना नहीं हुई। हाथियों द्वारा मकान तोड़े जाने से घरेलू सामान भी नष्ट हुए हैं। मकान तोड़ने के साथ ही हाथियों ने घर में रखा अनाज भी खाया। आसपास खेतों में लगी फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ ही हाथी वही विचरण करते रहे।

हर बार की तरह सुबह होते ही हाथियों का दल जंगल में प्रवेश कर गया। वन विभाग का अमला हाथियों की निगरानी में तो लगा हुआ है लेकिन हाथियों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान से बचाने वे भी अब खुद को असहाय महसूस करने लगे हैं।

पिछले कई दिनों से रतजगा कर रहे वन कर्मचारी दिन में थोड़ा बहुत आराम कर शाम होते ही फिर से हाथियों की निगरानी में लग जाते हैं। इस दल में शामिल हथिनी को सैटेलाइट कलर आईडी भी लगाई गई है, इससे लोकेशन भी मिलता है लेकिन रात के अंधेरे तथा धुंध के कारण हाथियों के प्रबंधन में भी दिक्कत आ रही है।

हर रोज वन विभाग का अमला हाथियों द्वारा पहुंचाए गए नुकसान का आकलन कर प्रकरण बनाने तक की कार्यवाही में ही सिमट कर रह गया है। इस वर्ष खेती की स्थिति ठीक नहीं है, ऊपर से हाथियों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान के कारण किसानों के समक्ष बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।

सेटेलाइट कॉलर आईडी लगे प्यारे हाथी की लोकेशन अब 6-6 घंटे में सेट कर दिया गया है। पूर्व में प्यारे हाथी की आक्रामकता और उसके द्वारा जनहानि की घटनाओं को देखते हुए उचित प्रबंधन के नाम पर प्यारे हाथी का लोकेशन प्रति 2 घंटे में प्राप्त होने के लिए सेट किया गया था, लेकिन बीच में प्यारे हाथी घने जंगलों में चला गया था और उसका व्यवहार भी सामान्य है, इसलिए लोकेशन को 6-6 घंटे के लिए सेट कर दिया गया है।

2-2 घंटे में लोकेशन लेने से बैटरी की खपत ज्यादा होती है और बैटरी की अवधि कम हो जाती है, इसलिये पुनः सेटिंग यथावत 6-6 घंटे की कर दी गई है। इसी टाइम के अनुसार अब लोकेशन प्राप्त होगी। सेटेलाइट के जरिए जल्दी-जल्दी लोकेशन लेने पर कॉलर आईडी में लगी बैटरी की खपत भी अधिक होती थी, जिससे ज्यादा दिनों तक सैटेलाइट कलर आईडी उपयोगी नहीं रहता।