भारतीय रेलवे (Indian Railways) शिवोक (Sivok) से सिक्किम (Sikkim) तक रेल लाइन (Rail Line) बनाने जा रहा है. सीमावर्ती राज्य सिक्किम में चीन (China) की सीमा भी है. सुरक्षा के लिहाज से रेलवे का यह प्रोजेक्ट काफ़ी महत्वपूर्ण है. एक तरफ चीन की चुनौतियां और दूसरी तरफ डोकलाम में चीन की मनमानी का जवाब देने के लिए शिवोक से सिक्किम के बीच बनने जा रही रेल लाइन काफ़ी ख़ास है. इस रेल लाइन के बनने से न केवल स्थानीय लोगों को मदद मिलेगी बल्कि इससे पर्यटकों (Tourist) और सेना (Army) को भी काफी सहूलियत होगी. सर्दियों और ख़ासकर मॉनसून के दौरान यह इलाका लैंड स्लाइडिंग की वजह से पूरी तरह से बंद हो जाता है. ऐसे में नई रेलवे लाइन इस इलाके को नया जीवन देने वाली है.
शिवोक-रंगपो रेल लाइन सिक्किम को रेल लाइन से पूरे भारत से जोड़ने वाली लाइन होगी. न्यू जलपाइगुड़ी- अलीपुरद्वार- गुवाहाटी रेल लाइन पर शिवोक स्टेशन मौजूद है. यह स्टेशन न्यू जलपाइगुड़ी से 35 किलोमीटर दूर है जबकि रंगपो स्टेशन सिक्किम की सीमा पर मौजूद है.
फिलहाल सिक्किम राज्य केवल सड़क के माध्यम से जुड़ा है. यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 10/31A होकर गुज़रता है. यह काफी दुर्गम इलाका है और मॉनसून के दौरान इलाके की सड़क अक्सर चट्टानों के खिसकने से बंद हो जाती है. यहां की सड़क पर ज़रूरत से ज्यादा दबाव होने से इलाके में ट्रैफ़िक जाम की भी समस्या बहुत बड़ी हो गई है. इसलिए रेल लाइन बनने से इलाके के लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है.

रेल लाइन का 86 फ़ीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुज़रेगा
क़रीब 45 किलोमीटर की इस रेल लाइन का 86 फ़ीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुज़रेगा. यानी रेल लाइन के बनने से सिक्किम के इको सिस्टम को कम से कम नुकसान पहुंचेगा. इस रूट पर 41 किलोमीटर से ज़्यादा रेल लाइन पश्चिम बंगाल में जबकि 4 किलोमीटर से भी कम सिक्किम में होगा. इस रूट पर 14 सुरंग जबकि 24 छोटे-बड़े पुल मौजूद होंगे. रेलवे इस प्रोजेक्ट पर 4000 करोड़ रुपये से ज़्यादा ख़र्च करने जा रहा है. शिवोक से रंगपो के बीच ट्रेन का सफर 2 घंटे से भी कम का होगा. रंगपो से सड़क के रास्ते गंगटोक तक एक घंटे में पहुंचा जा सकता है.

रेलवे आने वाले समय में रंगपो और गंगटोक के बीच भी रेल लाइन बनाने वाली है, यह लाइन आगे नाथुला पास तक जाएगी. यानी यह पूरा रेल प्रोजेक्ट रक्षा ज़रूरतों के लिहाज़ से भी काफ़ी ख़ास है. यह रेल लाइन शिवोक- रियांग- तिस्ता बाज़ार- मेल्ली- रंगपो होकर गुज़रेगी. क़रीब 100 साल पहले 15 मई 1915 को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ने तीस्ता घाटी रेल लाइन की शुरुआत की थी. इसका मक़सद आगे चलकर सिक्किम और कालिंपोंग को रेल लाइन से पूरे देश से जोड़ना था. यह लाइन सिलीगुड़ी से शुरू होकर गिलखोला तक जाती थी, लेकिन 1950 में एक लैंड स्लाइडिंग में यह लाइन पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. उसके बाद कभी इसकी मरम्मत तक नहीं हो पाई और यह योजना ठप हो गई.



